दिलदारियां..!
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
मुझे शौक़ नही है बेवफाई का
जैसे भी हो निभाता मैंने l
तू इलज़ाम लगाती रही फिर भी
दिल खोल सताया तूने ll
तेरी गली को भूलना गंवारा न था
तेरे बिन जीना कभी भाया तो न था l
तू करती रही शिक़वा कदम कदम
तेरे ख्यालों में भी तो कोई और न है ll
Posted on December 18, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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