Category Archives: Ghazals Zone
शराब…

शराब होती अगर तो पी लेता
तेरे ख्यालों में खोकर जी लेता…
किसी भी राह से जो मैं गुज़रूँ
निकलती वो बस तेरे घर को
कोई ख्वाब होता गुज़र जाता
तुझे भुला मैं भी फिर जी लेता…
गुज़रते वक़्त ने दिए कई ज़ख्म
सभी हैं अपने नहीं कोई अपना
बसर थी ज़िन्दगी जो साथ होते
सकूँ से फिर कुछ पल जी लेता…
इतंज़ार में…..
क्यों बेक़रार सा रहता दिल
तेरे आने के इंतज़ार में
तेरे जाने के बाद रहता दिल
तेरे आने के इतंज़ार में…
कई ख्वाहिश रहती कहने को
जब रूबरू हो और बढ़ जाती
ये आंखें हर पल देखें राहें बस
तेरे आने के इंतज़ार में…
मैं जानूँ है तू गैर का तस्सव्वुर
तुझे पाना है ख्वाब की ताबीर
आखिर पल अटकी होंगी सासें
तेरे आने के इंतज़ार में…
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ग़ज़ल

क्या खूब हैं तेरी ये मतवाली आँखें,!
नशीली आँखें ये कजरारी आँखें…!!
मय का प्याला हैं तुम्हारी ये आंखें,!
कहीं देखीं न ऐसी निराली आंखें…!!
सुबह होती जो देखें तुम्हारी आँखें,!
शाम ढले गर नज़र न आएं आँखें…!!
खवाबों से लबरेज़ हैं शराबी आँखें,!
जान से प्यारी हमें तुम्हारी आंखें…!!
शायर का सहारा.!!
मेरे दिल में बसे जाओ इधर घर भी तुम्हारा है.!
शहर में यूँ भी ज़मीनों का भाव बड़ा न्यारा है.!!
मैं तुम से दूर रह ज़रा सोचो कैसे जी पाउँगा.!
मेरी सांसों दिल-ए-धड़कन पे राज तुम्हारा है.!!
फल्क़ पर माना उसी का राज वही इदारा है.!
मुझे मतलब ज़मीन से तुही चाँद सा प्यारा है.!!
कोई पल्ट तुझे देखे इस दिल को न गंवारा है.!
भरी दुनिया में शायर का बस एक तूं सहारा है.!!
मेरा खुदा मेरी जान मेरा ये वतन.!!
वतन अपने से मुझ को मुहब्बत.!
मेरा खुदा मेरी जान मेरा ये वतन.!!
है जब तक जान खिदमत मैं करूँ.!
वक़्त ज़रूरत गर जान भी क़ुर्बान.!!
इस मिट्टी सी मिट्टी और मुल्क नहीं.!!
दुश्मन भी माना यहाँ दिल-ओ-जान.!!
धर्म-जाति से बैर कर न हुआ भला.!
अमन-भाईचारे से रहो यही पैगाम.!!
ज़िन्दगी चाहे बार-बार मिले “सागर“.!
यही वतन हो बस यही इक अरमान.!!
वक़्त की गर्दिशें…
वक़्त की गर्दिशें इंसान को क्या क्या बना देती हैं.!
कभी अपना कभी अपनों को बेगाना बना देती हैं.!!
कैसी ये लगन कैसी अगन फिर भी हो जीवन में.!
कभी दौर ऐसा गुज़रे शम्माँ-परवाना बना देती हैं…
वक़्त रहते जो सम्भला-पहचाना जीवन-जंजाल.!
उन राहों को रहमतों का पैमाना सा थमा देती हैं…
तह उम्र जिन सहारे जीने की हो उम्मीद “सागर“.!
पल भर में उन सपनों को अनजाना बना देती हैं…
ज़िन्दगी…
ज़िन्दगी एक मौसम सिवा और कुछ भी नहीं.!
कभी पतझड़ कभी बहार और कुछ भी नहीं.!!
क्यों करते हर पल इंतज़ार उस माशूक का.!
जिसे देख फिर देखना कभी मय्यसर न हो.!!
रात अंधेरों में ही न देखें ज़िन्दगी की दास्ताँ.!
यहाँ सुबह भी है होती सपने सजाने के लिए.!!
जिसे चाँद समझ पाने की ज़ुस्तज़ू किया करें.!
कुछ लम्हों की प्यास है बीच में कुछ भी नहीं.!!
धन-दौलत की मोह-माया ही क्यूँ हो हर पल.!
मज़ा बहुत “सागर” दूजे को खुश देखने बाद.!!
फर्क…
तुझे ख्यालों में पाया पल-हर पल.!
तूने मुझको भुलाया पर पल-पल.!!
मैंने कसीदे पढ़े तेरी वफाओं के.!
तूने गैरों संग साजिशें की मुझसे.!!
इबादत करी तस्वीर रब्ब समझ.!
तूने तस्वीर में हैं बस गैर तलाशे.!
मैंने चाँद में देखी तेरी ही सूरत.!
तूने सितारों से ही मुहब्बत की.!!
मैं अकेला ही चलता रहा काँटों .!
तूने फूलों भरी सेज थी सरहाई.!!
उल्फत से मुंह न…!!
इस दौड़ भरी ज़िन्दगी में कुछ फुरसत के पल निकाल एक ग़ज़ल लिखी है,
अपने दिल के ज़ज़्बात लफ़्ज़ों में पिरोने की कोशिश है,जो आप सबके
समक्ष प्रस्तुत है:-
उल्फत से मुंह न फेरिये वफ़ा न मिलेगी बार-बार.!
कहानी है ये चार दिन की रुत न आएगी बार-बार.!!
उल्फत से मुंह न…जी भर के देख लीजिये अब न मिलेंगे तुम्हें हम.!
बेशक रहोगे रूह में सांसों के होंगे तुम्ही सनम .!!
उल्फत से मुंह न…शिकवों का क्या मान लीजिये है दिल का भरम.!
हम न होंगे तबतो न होंगे तुम्हारी ज़िन्दगी में गम.!!
उल्फत से मुंह न…दिल की सुना भी दीजिये क्यों हम से इतनी शर्म.!
इंकार कर देंगे क्यों है तुमको इस बात का वहम.!!
उल्फत से मुंह न…मनचाहा जहाँ नसीब हो हैं सब के अपने करम.!
आँखों में सवाल क्यों क्यूँ इक-दूजे के लिए रहम .!!
उल्फत से मुंह न…
वो नहीं जो यारी में दगा करें…
हम वो नहीं जो यारी में दगा करें,
कहें अपना और बेगाना करें.!लोग मिलते हैं यहाँ दर्द देने वास्ते,
हम वो नहीं जो दवा न करें.!!
रातें जागने की सजा कौन दे गया,
किससे गिला शिक़वा करें.!अपनी आहों की सजा देकर उन्हें,
जहाँ से यूँ बेज़ार न करें.!!
ख़ामोशी में भी इक इक़रार होता,
बेशक वो इक़रार न करें.!हमने दिल उन नाम किया”सागर”,
उनकी मर्जी ओर नाम करें.!!
ज़िन्दगी लम्हों की खता है…!!
ज़िन्दगी साथ गुज़ारे लम्हों की खता है,
क्या मुहब्बत इतनी बड़ी गुनाह है…
क्यों दिन-रात तड़पते किन्हीं ख्यालों में,
क्या मुहब्बत करने की ये सज़ा है…
हर किसी को न मिली मनचाही दुनियां,
क्या मुहब्बत खुद भी बेवफा है…
क्यूँ किसी ओर का तस्सव्वुर करे दिल,
क्या मुहब्बत में पाना ही वफ़ा है…
दीये उल्फत के जलाये बैठे हैं “सागर“,
क्या मुहब्बत का यही नशा है…
माँ.!!(Dedicated to My Beloved Mom)
माँ से बेहतर न कोई है न ही होगा,
इक वही जो दुलारती मुझको.!दुल्लती मरता पेट में फिर भी मगर,
प्यार से सहलाती थी मुझको.!!
नादाँ था वक़्त रहते न समझ पाया,
अब नहीं तो समझ आई मुझको.!बहुत बने रिश्ते उसके सामने-बाद,
मगर कोई नहीं संवारता मुझको.!!
बहुत परेशां किया जब थी उसको,
फिर भी गिला न किया मुझको.!“सागर“की खाव्हिश खुदा से यही,
यही माँ जन्म दे हर बार मुझको.!!
Happy Holi…”Sagar”
होली के इस पवन त्यौहार पर अपनी पुरानी बातें (अगर कोई हैं तो) भुला कर आप सब होली जरूर खेलें
हमारी तो मजबूरी है भाई…
हमारी ओर से आप सब को होली की ढेरों शुभकामनें...
Wish U a Very Happy Holi…
गिले-शिकवों की दिल में कोई जगह नहीं.!
आँखों में तेरी तस्वीर सिवा कोई ओर नहीं.!!
हाथों में रंग लिए बैठे हैं तुम कब आओगे.!
तेरे बगैर इस होली में कोई मज़ा-रंग नहीं.!!
रंग लगा चेहरा जैसे बाग़ खिला है सतरंगी.!
आइना देखा फिर भी कहाँ-कहाँ हम नहीं.!!
कृष्ण की राधा जैसी है तू यू पी की बाला.!
अफ़सोस ज़रा दिल को कान्हा जैसे नहीं.!!
दूरियों की एहमियत नहीं गर सच्चा प्यार.!
सांसों की खुशबू देख क्या वहां हम नहीं.!!
Tars Aata Hai Un Pr…
हो सकता है उनके पास अपने तर्क होंगे,
पर हमें मंजूर नहीं.!कोई बीच में आये हमारे दरमियान हमे,
ये सब मंजूर नहीं.!!
शक कहें या कुछ भी वो उनकी समझ,
इश्क़ का दस्तूर यही.!मुहब्बत में इतना हक़ तो बनता यारों का,
या कहो क़बूल नहीं.!!
क्या माशूक़ से दिल की कहना गुनाह है,
ये इश्क़-ए-असूल नहीं.!ज़िद्द काम की हो तो अच्छी लगती नहीं,
सोचो ये फ़िज़ूल नहीं.!!
तुम्हारी तुम जानो हमें तो इश्क़ है तुमसे,
भँवरे से हम नहीं.!वक़्त रहते संभल जाओ हमें इश्क़ है पर,
इतने भी मजबूर नहीं.!!
गैर हो जाऊँ इस से पहले….!!
गैर हो जाऊँ इस से पहले बाँहों में समेट ले.!
मांग का सिन्दूर बना इन आँखों में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
आवारा बादळ भटक जाऊँगा फिर न कहना.!
किसी और आँगन बरसूं उससे पहले समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
तन्हा रातों में यूँ छुप-छुप आंसूं न बहाया कर.!
लबों की तब्बस्सुम बनूं अपनी रूह में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
तकिये को बाँहों में भर भी कमी पूरी न होगी.!
रह करीब जिस्म की गर्मी को खुद में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
उधर गर है परेशां तो आग इधर भी बराबर.!
बना हमसफ़र ज़िन्दगी को खवाबों में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
आवारा न बना.!!
अपनी आवारगी से हमें दीवाना न बना.!
बड़ा पछताएगी हमें आवारा न बना.!!
अपनी आवारगी से…
नहीं राह चलते किसीको छेड़ने का शौक.!
फल्क़ से भटका हुआ सितारा न बना.!!
अपनी आवारगी से…
आइना देखूं तेरी ही तस्वीर नज़र आती.!
खुदको इन आँखों का नज़ारा न बना.!!
अपनी आवारगी से…
बहुत शौक है न तुझे बर्बाद करने का.!
रूह को यादों का सहारा न बना.!!
अपनी आवारगी से…
रातों को जागना न सोना न सोने देना.!
खुदको मुहब्बत का इशारा न बना.!!
अपनी आवारगी से…
मान जा गर मुहब्बत है इक़रार कर.!
दुनियां में यारों को बेसहारा न बना //
अपनी आवारगी से…
वीरों पर हमें नाज़ है…
Dedicated to our Brave Solders(Indian Army)
वीरों की क़ुरबानी पर हमें नाज़ है /
सांसों पर आज उनका ही राज़ है //
वीरों की क़ुरबानी…बहुत हुई अमन-भाईचारे की बातें /
आर-पार ही अब उन का इलाज //
वीरों की क़ुरबानी…इरादे बुलंद यहाँ हर नौजवान के /
मौका मिलने पर ऊँची परवाज़ है //
वीरों की क़ुरबानी…नहीं रुकेगा ऐसे जुल्म-औ-सितम /
मिटाओ उसकी लगी जो खाज है //
वीरों की क़ुरबानी…हर कीमत पर बदला चाहिए हमें /
बस देश की आज यही आवाज़ है //
वीरों की क़ुरबानी…
Naseeb…
मेरा मेहबूब ही मेरा रकीब बन गया .!
लूट कर मुझे खुद गरीब बन गया .!!कभी सामने हो रूबरू बात करता जो .!
आज यादों की महज तस्वीर बन गया .!!खत लिखे उस को कई मुहब्बत भरे .!
ज़माने की नज़र में तक़रीर बन गया .!!क्यों की मुहब्बत अगर न निभानी थी .!
गुजरे ख्वाबों की इक तारिख बन गया .!!जिसे चाहा जान से बढ़ कर ‘सागर ‘.!
किसी और माथे का नसीब बन गया .!!
Mera mehboob hi mera rakeeb bn gya.!
Loot kar mujhe khud gareeb bn gya.!!
Kabhi samne ho rubaru baat karta jo.!
Aaj yaadon ki mahj tasweer bn gya.!!
Khat likhe us ko kai muhabbat bhare.!
Zamane ki nazar mein takreer bn gya.!!
Kyun ki muhabbat agar na nibhani thi.!
Guzare khwabon ki ab tareekh bn gya.!!
Jise chaha jaan se badh kar ‘Sagar’.!
Kisi aur maathey ka naseeb bn gya.!!
Happy Teddy Bear Day 10 Feb 2019
दिल की गहराईयों से लिखी ये ग़ज़ल खास मौके के लिए…
जाने ज़िन्दगी में दोबारा वक़्त मिले न मिले…
अर्ज़ किया है…
तेरे शहर से वाकिफ फिर भी अंजान बना हूँ…
वाकिफ नहीं ज़रा भी मेरे रंज-औ-गम से ./
तभी तो मुझ पर तुम इलज़ाम लगा रहे हो .//
बुझता हुआ दीया हूँ तुझे कैसे समझाऊँ ./
कुछ दाग ऐसे होते जो दिखाए नहीं जाते .//मुझे शौक़ नहीं है तुझसे दूरियां बनाने का ./
मजबूरियां मेरी भी क्यों खामखा मुंह चढ़ाते .//रस चूस उड़ जाऊँ ऐसा भंवरा नहीं हूँ मैं ./
चेहरे पर यूँही तुम शिकन चढ़ाये हो जाते .//उल्फत में सब पाना ही हासिल वफ़ा का ./
ऐसी खुदगर्ज मुहब्बत का सबक क्यों पढाते .//बहुत शौक है न तुझ को चेहरा देखने का ./
आइना देख लेना मेरे अक्स हैं नज़र आते .//जाते हुए लम्हों पर एतबार न किया करते ./
गुज़रे को वापिस आने की आदत कहाँ होती .//तेरे शहर से वाकिफ फिर भी अंजान बना हूँ ./
राज़ जान जाते गर मुझे बेवफा बता न पाते .//कुछ होती वजह यूँ कोई बेवफा नहीं होता ./
इश्क़ इबादत खुदा की यहाँ बुत हैं पूजे जाते .//
Opinion…👃👃
Zindagi mein jis din sab se jyaada zarurat thi wo gumnam se ho gye.!
Yun har din kaseede padhte the Yaaron sang pak muhabbat hone ki.!!
Ek Gazal Arz Hai:-
ज़िन्दगी को अगर जानना है तो मौत के करीब जाना होगा .!
खाली हाथ आये खली जाना इस हक़ीक़त को मानना होगा .!!
इस सफर-ए-हयात में मेहबूब कई दिल के अज़ीज़ होंगे .!
कितनों ने है साथ -साथ जाना ये राज भी जानना होगा .!!
सुख में सभी साथ होने का दावा करते हैं ‘सागर‘.!
अपनों को गर पहचानना है तो दुःख को अपनाना होगा .!!
Zindagi ko agar janna hai to Maut ke karib jana hoga.!
Khali hath aaye khali jaana is haqiqat ko manna hoga.!!
Is Safar-e-Hayaat mein Mehboob kai dil ke Aziz honge.!
Kitnon ne hai saath-saath jaana ye Raj bhi janna hoga.!!
Sukh mein sabhi sath hone ka Dawa karte hain ‘Sagar‘.!
Apnon ko gar pehchanna hai to Dukh ko apnana hoga.!!
Anjam-e-Ishq…Dedicated
उनसे मुहब्बत कर नाकाम से हो गए हैं .!
सारे शहर में बदनाम हो गए हैं .!!
उनसे मुहब्बत कर…देखें जो भी शै तस्वीर उनकी नज़र आती .!
आँखों में इस क़द्दर आराम से ब्स गए हैं .!!
उनसे मुहब्बत कर …महफ़िल सजी है यारो से फिर भी दिल है तन्हा .!
अपनों के बीच मगर वीरान से हो गए हैं .!!
उनसे मुहब्बत कर…उन संग हुई गुफ्तगू में जिक्र्र गैर का कर .!
उम्र भर के लिए अब परेशान हो गए हैं .!!
उनसे मुहब्बत कर…आबाद उल्फत के ‘सागर‘ नाकाम अंजाम क्यों कर .!
बिखर गए सपनें सब बेज़ार से हो गए हैं .!!
उनसे मुहब्बत कर…
Unse muhabbat kar naqam se ho gaye hain.!
Saare shahar mein badnaam ho gaye hain.!!
Unse muhabbat kar…
Dekhein jo bhi shai tasweer unki nazar aati.!
Aankhon mein is qaddar aaram se bs gaye hain.!!
Unse muhabbat kar…
Mahfil saji hai yaaro se phir bhi dil hai tanha.!
Apnon ke beech magar viran se ho gaye hain.!!
Unse muhabbat kar…
Un sang hui guftgu mein zikrr gair ka kar.!
Umar bhar ke liye ab preshan ho gaye hain.!!
Unse muhabbat kar…
Abad ulfat ke’Sagar‘naqam anjam kyun kar.!
Bikhar gaye spnein sab bezar se ho gaye hain.!!
Unse muhabbat kar…
PreshaN na Kar💗💗
💘💘💘💘
Apne masoom sawalon se mujhe preshan na kar.!
Guzra hua waqt hun mujh pe jyada etabaar na kar.!!
Apne masoon se…
Khubsurat tu hi nahin mujhse behtar hain yahan kai.!
Dikha husn ke jalwe mujhe apna yun talbgar na kar.!!
Apne masoom se…
Wafa ki murat mujh se muhabbat hai tujhe bahut.!
Aankhin se chalksti dil ki lagi beshaq iqraar na kar.!!
Apne masoom se…
Duniyan ne sataya bda tere milne se pahale mujhe.!
Zindagi wahi jo tere saath basar hogi inqaar na kar.!!
Apne masoom se…
सकूँ.!!
मुमकिन नहीं अपना हाल-ए-दिल बता सकूँ.!
कितना प्यार है तुम से तुम्हें मैं बता सकूँ.!!साजिशें बहुत की मगर मुझे बदल न सके.!
इतना क़ाबिल नहीं मैं के तुम को भुला सकूँ.!!मिल जाएंगे तुम को बहुत प्यार करने वाले.!
कोई रास्ता सूझता नहीं कैसे गैर घर जा सकूँ.!!लफ़्ज़ों के तीर से हर पल मेरा दिल घायल किया.!
कोई दवा भी दे जाओ जो दिए जखम मिटा सकूँ.!!दो पल की ज़िन्दगी में कुछ बातें सकूँ की करो.!
कुछ ख्वाहिशें हों पूरी अधूरी संग न जा सकूँ.!!
Mumqin nahin apna haal-e-dil bta sakun.!
Kitna pyaar hai tum se tumhein main bta sakun.!!
Sajishein bahut ki magar mujhe badal na sake.!
Itna qabil nahin main ke tum ko bhula sakun.!!
Mil jaayeinge tumko bahut pyaar karne waale.!
Koyi rasta sujta nahin kaise kisi aur ghar ja sakun.!!
Lafzon ke teer se har pal mera dil ghayal kiya.!
Koyi dawa bhi de jao jo diye jakham mita sakun.!!
Do pal ki zindagi mein kuch baatein sakun ki karo.!
Kuch khwahishein hon poori adhuri sng na ja sakun.!!
ज़िन्दगी…
ज़िन्दगी रुक नहीं पाती खुशियों के रेल में.!
सब्ज़-बाग़ दिखा खो जाती जाती है मेले में.!!
गिला-शिक़वा खुद को बड़ा मानने की ज़िद्द.!
सब कुछ होते हुवे आखिर जाना अकेले में.!!
मनचाहा पाने की यहाँ इज़ाज़त किसे मिली.!
ज़िन्दगी गुज़र जाती ज़िन्दगी के झमेले में.!!
दिन गुजरे इंसान एहमियत-ए-रिश्ता जानता.!
अब बिकते हैं रिश्ते गली-चौराहों पर धेले में.!!
प्यार-वफ़ा-ईमान की उम्मीद ना कर यारा.!
लोग लेते हैं यहाँ मज़ा नफरत के शोले में.!!
लोग कहते हैं..!!
लोग कहते हैं तुझ को मुझ से मुहब्बत हो गई है.!
मैं समझता हूँ मेरी हालत तेरे जैसी हो गई है.!!
लोग कहते हैं…जो भी देखा उस ख्वाब में तू ही तू नज़र आई.!
हर लम्हें की सूरत तेरे जैसी हो गई है.!
लोग कहते हैं…तेरे होंठों की आह मेरे घर के कांच तोड़ गई.!
मेरी आँखों से तेरे घर बारिश हो गई है.!!
लोग कहते हैं…मेरी खुशबू से महकती तेरी ज़िन्दगी की सांसें.!
मेरी हर धड़कन तेरी अमानत हो गई है.!!
लोग कहते हैं…मिलना-बिछड़ना तो वक़्त की नज़ाकत है यारा.!
तेरी ज़ुस्तज़ु में रवि की शाम हो गई है.!!
लोग कहते हैं…
पीना बुरी चीज़ है मगर…
तुझे पी सारे गम भुलाये जाते हैं,
फिर भी लोग हैं के तुझे बुरा बताये जाते हैं.!
अजब-गजब दुनियां के दस्तूर हैं,
बेगुनाहों पर ही क्यों इल्जाम लगाए जाते हैं.!!
तुझे पी सारे गम भुलाये जाते हैं,
फिर भी लोग हैं के तुझे बुरा बताये जाते हैं…
पीना बुरी चीज़ है मगर गम भुलाने की और क्या चीज़ है.!
ऐसी कोई दवा बताओ जिससे दर्दे-ए-गम मिटाये जाते हैं.!!
तुझे पी सारे गम भुलाये जाते हैं,
फिर भी लोग हैं के तुझे बुरा बताये जाते हैं…
होश में रहने से अच्छा है बेहोश ही रहा जाए आजकल.!
यक़ीन किस पर करें यक़ीन नाम ही सब लुटाये जाते हैं.!!
तुझे पी सारे गम भुलाये जाते हैं,
फिर भी लोग हैं के तुझे बुरा बताये जाते हैं…
❤️❤️चाँद❤️❤️से सुन्दर हो…
दिल का तूफान दिल में लिए जाएंगे,
उन की यादें इरशाद किये जाएंगे.!
जानते हैं गैर की अमानत हो यारा,
सुलगते अरमान साथ लिए जाएंगे.!!
नामुमकिन कुछ नहीं बस वहम है,
मुश्किलों का सिर्फ बहाना बनाएंगे.!
रहो सलामत रंज -औ -गम से दूर,
हाथ उठा रब्ब से दुआ किये जाएंगे.!
चाँद से सुन्दर हो जान-ए -जिग्गर,
हर शेर-ग़ज़ल में नाम लिए जाएंगे.!
दुनियां क्या उनके सामने ”सागर”,
जान अपनी ये क़ुर्बान किये जाएंगे.!!
सुहागरात❤️❤️
आज फिर उन संग मुलाक़ात होगी.!
रात भर जाग कर लम्बी बात होगी.!!
जागेंगे खुद और जगायेंगे,
वादों में शिक़वा-शिकायात होगी.!
ख्वाब देखें जो तन्हाई में,
उन अरमानों की सुहागरात होगी .!!
कुछ वो कहेंगे कुछ हम,
फिर ज़ज़्बातों की बरसात होगी.!
तंग होती दिल की गलियों में,
नए रिश्तों की नई शुरुवात होगी.!!
चाँद-सितारे बनेंगे गवाह,
क्या खूब आज हसीन रात होगी.!
ख्वाहिशों की रहेगी न इंतहा,
सांसों की ऐसी जो सौगात होगी.!!
Aaj phir un sang mulaqat hogi,
Raat bhar jag kr lmbi baat hogi.!
Khwab dekhein jo tanhai mein,
Un armanon ki suhagraat hogi.!!
jageinge khud aur jagayeinge,
wadon mein shiqwa-shiqayat hogi.!
Kuch wo kaheinge kuch hum,
Phir zazbaaton ki barsaat hogi.!
Tang hoti dil ki galiyon mein,
Nye rishton ki nyi shuruwat hogi.!!
Chaand Sitare baneinge gawah,
Kya khub aaj haseen raat hogi.!
Khwahishon ki rahegi na intha,
Sanson ki aisi jo sougat hogi.!!
तुम्हें जो ❤️एस एम एस❤️ किये हैं.!!
तुम्हें जो एस एम एस किये हैं,
दिखा तो न दोगे.!
शहर की गलियों में रुस्वा,
करा तो न दोगे.!!तुमसे मुहब्ब्बत है की जैसे,
खुदा की इबादत.!
हमारी आहों पर कभी शक,
जता तो न दोगे.!!हर दुआ क़बूल होती नहीं,
तुम भी जानते.!
एक हुवे न जो हमारी खता,
बता तो न दोगे.!!तन्हा लम्हों में तुम संग कई,
ख्वाब देखें हैं.!
हमारे ख्यालों को इक ख्वाब,
बना तो न दोगे.!!जाने कब किस पल ज़िन्दगी,
खफा हो जाए.!
हमारे बाद हमें दिल से तुम,
भुला तो न दोगे.!!
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