Category Archives: Shayari Khumar -e- Ishq
वादा..!!
इक वादा तुम करो
उम्र भर साथ देने का
एक वादा मैं करता
ताह उम्र निभाने का…
वक़्त बेशक कैसा रहे
यक़ीन करना न छोड़ेंगे
रिश्तों की डोर यारा
मर कर ही अब तोड़ेंगे…

Thought…
पंछी बेशक कितना भी ऊँचा उड़ ले लौट कर ज़मीन पर ही आना होता,
इसलिए किसी को खुद पर गरूर न करना चाहिए लौटना तो ज़मीन पर हो होता |

Nazam
किस्मत से तेरे पास हूँ
ये तेरी है तकद्दीर…
मेरे हाथों की लकीरों में
तेरी ही है तस्वीर…
फिर क्यूँ खोने का गम
क्यूँकर ये तासीर…
फिर भी गर न मिल पाए
हो जायेंगे फ़कीर…
Moti
जितनी मोटी है तूं
काश तेरा दिल भी उतना होता…
मेरे सीने में रहती है
सबको कम से कम ये पता होता…
न छेड़ने का चक्कर
ना कोई और झोल झमेला होता…
अपनी भी सेहत होती
कुछ रोटियों पे हक़ मेरा भी होता…
Gazal
क्या खूब है तेरे लबों की लाली,
थोड़ा चुरा लूँ तो नाराज़ न होना…
इसी बहाने तुझे करीब रख लूंगा,
मेरे मेहबूब मगर नाराज़ न होना…
माना तेरा तलबगार हूँ दीवाना हूँ,
आँखों में बसा लूँ नाराज़ न होना..
न कर इश्क़ तुझ पर ज़ोर नहीं है,
जं देदूं गर दर तेरे नाराज़ न होना…
Lamhein
माना के मुहब्बत नहींं तुझसे
ना शौक़ फरमाते इश्क़ का…
मगर न जाने क्या बात तुझमें
ना देखूं तो क़रार नहीं आता…
मौसम भी है मौका भी
ए चाँद ज़रा छत पर आजा…
बेइंतहा धड़कता दिल
अपना दीदार ज़रा करा जा…
इक बात मिली है फिर न मिलेगी
कर हर ख्वाहिश पूरी…
ज़िन्दगी चार दिन की है “सागर’
हर जिम्मेदारी कर पूरी…
पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
Nazam
वो सांवली सी लड़की
मेरे दिल के बहुत करीब है
मुस्कुराती कभी शर्माती
नज़रों में उसकी तस्वीर है…
वो सांवली सी लड़की…
वो मुझे चाहेगी ज़रूर
मेरे हाथों की लकीरों में है
हर ख्वाब उसकी नज़र
मेरी ज़िन्दगी की तक़दीर है …
वो सांवली सी लड़की…
ये ग़ज़ल ये शेर शायरी
उसके ख्यालों की ताबीर है
बिन उसके सब अधूरा
वही ज़िन्दगी की तासीर है …
वो सांवली सी लड़की…
Gazal
सीने लिपट काजल की निशानी छोड़ जाती हो,
कुछ इस तरह से मेरी तुम नज़र उतार जाती हो…
काजल की निशानी…
इक हसरत साथ जीने मरने की
अधूरी ख्वाहिशें पूरी करने की
डाल आँखों में आँखों और फिर पलकेँ झुका कर,
कुछ इस तरह हाल ए दिल अपना सुना जाती हो…
काजल की निशानी…
फल्क़ का चाँद उतरा मेरे आंगन
देखे ख्वाबों की ताबीर बन कर
किस्मत से तुझे पाया मैंने यारों को भी होता रश्क़,
कुछ इस तरह से देख जो होले होले मुस्कुराती हो…
काजल की निशानी…
Gazal
ए मेरी जान ए ग़ज़ल
जानता हूँ तू गैर है मगर,
मेरे दिल का सरूर है
तुझे चाहना क्या कसूर है..
मेरी चाहत तेरी इबादत
तू रब्ब किसी की है मगर,
हसींन हुस्न का गरूर है
यूँ ना मेरा दिल मगरूर है…
Gazal
ओ मेरी जान ए ग़ज़ल
मेरे शेरों में तेरा तस्सव्वुर
मेरे गीतों में तेरी महक
तेरी सांसों में मेरी धड़कन
ओ मेरी जान ए ग़ज़ल…
तुझे देखूं तो होती सुबह
तेरे बिन रहे है साँझ ढली
ओ मेरी जान ए ग़ज़ल…
और को चाहे गंवारा नहीं
कोई और मेरा सहरा नहीं
ओ मेरी जान ए ग़ज़ल…
“सागर” में हैं मौजें बहुत
मगर तुझसा इशारा नहीं
ओ मेरी जान ए ग़ज़ल…
Nazam
गर तू चाँद है
मैं तेरी चांदनी
तुझे छूना गर मुश्किल
मुझे पाना नामुमकिन…
यूँ इतराया न कर
खुद पे मुस्कुराया न कर
किस्मत से साथ तेरे
यूँ नाज़ दिखाया न कर…
किस का झगड़ा यारा
मेरे बिन गुज़ारा न हो तेरा
मुझे देख के तू जीती
तेरे नाम से नाम हो मेरा…
Lamhein
यक़ीन खुद पर न तह और ख्तागार हमें बना दिया,
दे दिल अपना उन्होनें गुनहगार हमें ही बता दिया..
नाज़ खुद पर और अपना दिल किसी को न देने पर,
देख जब हमें खुद को हमारा तल्बगार बना लिया…
चाय के बहाने करीब बुलाने
की कोशिश न कर,
बाद पछताएगी दिल लगाने
की कोशिश न कर…
यूँ सज धज आजकल रातों को तुम छत पर न आया करो,
बला की खूबसूरत हो कोई नादानी कर बैठेगा चाँद समझ…
किसी नूर ए नज़र की इधर भी इनायत हो जाती,
माशाल्लाह फिर ज़िन्दगी की तस्वीर बदल जाती…
मैंने मुहब्बत के चिराग जलाये तेरे नाम से,
हों क़बूल गर आँधियों में भी रोशन रखना…
हज़ार कोशिशें करे इंसान होता
वही जो मंजुए ए खुदा होता…
उसकी रज़ा में भी कोई राज़ रहे
बंदे लिए वो अच्छा ही चाहता…
न कर मेरे दिल की चौखट पर दस्तक,
पहले भी दरवाज़ा खोल पछताया हूँ मैं…
थक गया चलते चलते
अपनी पलकों की छांव में रह लेने दो..
कुछ इसी तरह से अब
ज़िन्दगी की आखिर शाम कर लेने दो…
इससे पहले तुझे बंदरिया कहूं आजा,
नहीं तो दूसरी डाल पे कूद जाऊंगा…
Tujhe paane ki chah mein hr
cheez se Tauba krli,
Ab hr Dost mein bs Raqeeb hi
nazar aate…
मैं तुम्हीं को आज तुम से मांगता हूँ,
लोग कहते सारी खुदाई चाहता हूँ…
अपनों को हरा किसने चैन पाया”सागर”,
इश्क़ करने वाले बस प्यार करना जानते…
मैं सितारों से ज़रा कम ही बात करता हूँ
मेरा दिल चाँद पर ही बस आया है…
क्या पता तुम हो ये है या वो भी हो सकती
यूँही न कलियों ने जोखिम उठाया है…
अपनों को हरा किसने चैन पाया”सागर”,
इश्क़ करने वाले बस प्यार करना जानते…
Teri taqdeer achhi hai
kreeb nhin,
Warna teri nak pkd
kheench lete or…
देखो हूँ ज़िद्द हर बात पर न किया करो,
गर है.मुहब्बत रात जग बाते किया करो…
मुहब्बत का वास्ता देने बालों में
वफ़ा का कब साथ दिया…
घर लगे तो आग
बाहर बसंती समझ लिय…
ये कैसी शिद्दत तुझे पाने की
हर दुआ बस तुझे मांगने की…
मुहब्बत तुझ संग कब इंकार
ज़िद्द है तेरे दर जाँ लुटाने की…
देते हो दगा इंसानों को
उसे तो बक़्श देते…
फिर देखते गुलशन में
फूल खिल गए होते…
उठे हैं हाथ जब तब दुआ को
तेरी तस्वीर नज़र आयी…
भूलना चाहा है जितना मगर
इतना ही मुड़ याद आयी…
खबर इस दिल को गैर है
किसी और की अमानत भी…
दिल का क्या करूं बता
तुझे चाहता तुझपे मरता भी…
Your eyes are so Beautiful👌
like a Paradise 🌹
Please give me on lease❤️
जब भी सोचा चाहें किसी को
पीछे पीछे कई मरने चल दी..
क्या करें यारो अब तुम्ही कहो
यूँ ज़िन्दगी तन्हा बसर कर दें…
खबर इस दिल को भी”सागर”
दुनियां में रंज ओ गम बहुत…
ज्यादा न सोचा करो हम हैं न
तुम्हारे मुस्कुराने की वजह…
उफ़ कितनी ज़ालिम होती हसीनायें
टेस्टीमोनिअल्स का वादा कर टेस्टीमोनियल लिखती…
दीवाने ख्वामखा इनकी कीमत बढ़ते
लांगुरनी को हूर बता सूखे चंने के झाड़ पर खूब चढ़ाते…
बस यादें लिए बैठी रहना🍭
कोई दूसरी ले❤️
फुर्र हो जाएगी
न कर कोशिशें जुल्फों में कैद करने की यूँ,
और होंगें जिन्हें घटाओं में जीने की आदत…
तेरी ख्वाहिश तेरी हसरत
मेरी ज़िन्दगी की चाहत,
तू नहीं गर तो फिर ज़िन्दगी
किस काम की बता..
कई होंगे तेरे पास चाहने वाले यहाँ,
हमारे पास तो एक तेरा दिल ही था…
धोखा देने की आदत कभी न होती परिंदों में,
कोई अपना बन टहनियां हिलाये तो क्या करे…
ए वक़्त यूँ ही ज़रा ठहर जा
अभी अभी तो मेरा यार आया है…
अपनी कह ले कुछ मेरी सुने
अभी अभी तो ज़रा मुस्कुराया है…
मेरी ज़िन्दगी में आना और मुस्कुराना
किसी ख्वाब से कम न था,
या खुदा ये मैं क्यूँकर भूल गया ख्वाब
हक़ीक़त नहीं होते कभी…
ए इश्क़ सुबह हो चुकी सूरत तो दिखला जा,
यूँ भी रात चाँद का दीदार कर जागते काटी…
इतना न तरसाया कर
है प्यार तो सही वक़्त कर…
शर्म न आती रात सोने न देती
सुबह तो मुखड़ा दिखाया कर…
अपने इश्क़ में क्यूँ इस क़द्दर कैद करते हो,
महफ़िल हमारी में भी तुम्ही राज करते हो…
किसने कहा हमारी मुहब्बत में गिरफ्तार हो,
दिल अपना संभलता नही इल्जाम हमारे सर…
उम्मीद पर दुनियां क़ायम है “सागर”,
आज उसका दिन कभी अपना आएगा…
ज़िन्दगी की शाम मुख़्तसर तेरी गली होगी,
तुझसे वादा है ये भी निभा कर ही जाएंगे…
इक पल में चढ़ती दूजे में उतरे
ये है आजकल की मुहब्बत…
अब प्यार व्यापार बन चूका है
मोल भव कर होती मुहब्बत…
क्या खूब शरारत है की मेरे मौल्ला,
उनसे मिलाया भी और दूर कर दिया…
न कर उनसे इतनी मुहब्बत “सागर”,
जो मर जाएँ तो वो जी न पाएं
और जियें तो उनके हो न पाएं…
ए शाम कभी तो ढलेगी
कुछ खाहिशें अधूरी छोड़…
क्या करूँ इंसान हूँ मैं भी
हर शय पाने की चाहत है…
भोलेनाथ से प्यार है मगर तुझसे भी प्यार है,
तुझसे ही इक़रार और तू ही तो सच्चा यार है…
इतने फूल भेजूंगा तुझे🌹🌹
के पट जाएगी…❤️
प्यार करेगी तन्हाई में💘💘
बस उफ़ उफ़…😩
यहाँ नखरे सहने की आदत नहीं,
जिसे जाना वो जाये मनाएंगे नहीं…
Gazal
चाँद को मुझ पर मरते देखा है
रातों को जगते तड़पते देखा है
चाँद को मुझ पर…
मैं ही वो जिस खातिर वो जगता
चाँद को छत पर टहलते देखा है
चाँद को मुझ पर…
दुनियां से छुप छुप मिलने आता
हर शाम मेरी गली हँसते देखा है
चाँद को मुझ पर…
सितारों ने पहरा उस पर बिठाया
चाँद को भी उनको ठगते देखा है
चाँद को मुझ पर…
Lamhein
तेरी गली आना अब छोड़ दिया
ये समझ ना कभी अपनी थी ना होगी…
गैरों से दोस्ती मुझे मिटाने खातिर
अनजान शहर मेरी आखिर शाम होगी…
अपनी आँखों का काजल बना कैद करलो मुझे
इससे पहले के कोई और कोर्ट आर्डर न ले आए
सुबह की लाली हो या शाम की सुरमाई
मीर की ग़ज़ल हो या खय्याम की रुबाई…
जो हो”सागर”की जान हो मगर हरजाई
इस हुस्न आगे तो चांदनी भी है शरमाई…
अपनों को हरा किसने चैन पाया”सागर”
इश्क़ करने वाले बस प्यार करना जानते
जवानी में यारो जब जब चढ़े
इश्क़-ए-ज़नून ll
पल्ट घर के कांच की खिड़कियाँ
भी देख लेना ll
न हिन्दू हूँ मैं न मुसलमान
उससे पहले इक इंसान हूँ
ईश्वर मेरा अल्लाह भी मेरा
सबकी मैं दिल ओ जान हूँ
इंस्टा फेसबुक या कहीं और
तुझे फॉलो कर क्या करना
अरे पागल दिल में कैद हो
फिर नेट का वेट क्यों करना
मेरे मुस्कुराने की वजह तुम हो
मेरी मुहब्बत की वफ़ा तुम हो…
जो भी हो पर बहुत खूब तुम हो
मेरे जीने की वजह ही तुम हो…
Sharbto aankhon se jo yun pilaoge,
Khuda kasam bemaut maar jaoge…
Ik ishara hi kafi “Sagar” uski majburi smjhne ke liye,
Muhabbt bhra dil to nazron ki zuban smjhta…
क्यों टूकूड टूकूड देखती हो
छूप कर मेरी प्रोफाइल को,
कहीं हज़ूर का दिल बेकाबू हो
मुझ पर तो नहीं आ रहा…
ना कर मेरी तन्हाई से मुहब्बत
कहीं खुद भी तन्हा न हो जाओ…
ए ज़िन्दगी तुझ पर
क्यूँकर यक़ीन कर लूँ,
बेवफा थी बेवफा है
और बेवफा ही रहेगी…
जब रात पहर सब सौ जाएं
तन्हाई रुक रुक तड़पाने लगे…
तुम मुझसे मिलने आ जाना
सांसों की मेरी उम्र बड़ा जाना…
चल तेरी बज़्म से चलते हैं,
याद आएं तो न रोना कभी…
मैंने चाहा है तुझको मुरादों की तरह यारा,
मगर तुझको मिल गया जो तेरा अपना था…
वो कहते हम से कभी
मेरी गली भी आया करो,
कैसे समझाए नादाँ को
उसके क़ाबिल नहीं हम…
अय्याश भी हम बदमाश भी हम,
वो तो दूध के धुले बैठे…
प्यार का दावा हमसे करें “सागर”,
मगर करीब और के बैठे…
अपनी मुहब्बत की ईमारत इतनी बुलंद कर,
के दूसरा कोई और चाहा कर भी छु ना सके…
मेरी मुहब्बत को सर ए बाजार कर
निलाम कर दिया…
चाहा तुझे मगर और ने अपना नाम
मेरे नाम कर दिया…
ए हुस्न अपनी खामोशियों से
इतना बेकरार न कर,
के जीना चाहूँ तो जी ही न पाऊं
और मर भी न सकूँ…
किसी के प्यार में मरना मुश्किल नहीं,
जो जिए प्यार खातिर वही क़ाबिल है…
थोड़ा इतराती थोड़ा बलखाती
ज्यादा बोलो तो डंडा दिखाती…
क्या खूब हैं जी हज़ूर के सितम
हर बॉल छक्का चौका लगाती…
कितनी आसानी से कह दिया तुम बड़े वो हो,
दर्द ए दिल जान लेते गर ख्यालात बदल जाते…
क्या खूब है तेरे लबों की लाली
तेरी सूरत और सीरत मतवाली…
जो देखे फिर क्यूँ न हो दीवाना
सूखे गुलशन हो जाये हरयाली…
बहुत खूब हैं ये मतवाली आँखें
शराबी आँखें कजरारी आँखें…
जिसने देखा वो डूब के रह गया
उफ़ कम्बक्ख्त मवाली आंखें…
ए हुस्न ज़रा शतमाने को
अदा तो सीख लेती,
यूँ भी तेरी नज़र ए इनायत ने
कई क़त्ल किये…
यादों में बिताये लम्हों को
संजो कर रखना…
जाने ज़िन्दगी के किस मोड़
फिर मिल जाएं…
दिल तो इक बार टुटा था,
फिर तो कोई टुकड़ा इधर गिरा कोई किधर…
भंवरा हूँ नादाँ रंगीं गलियों में
घूमने वाला मैंने माना मगर,
आवारा नहीं किसी भी शाख
बैठ कली को फूल बना दूंगा…
कितने मेन्टल हो यारो
तितलियों को कुछ भी लिखें वाह वाह कह देते हो…
कभी ये भी सोचा करो
इतना सर चढ़ा भी क्यूँ खली गिलास रह जाते हो…
ये तख़्त ओ ताज ये महलों की दूनियाँ
सब छोड़ आया हूँ,
ए खुदा अब तो बता किस गली मिलेगी
ख्वाबों की दूनियाँ…
हद है जी आज सबकी सब
बिना बताये सौ गई,
ज़रा गुड नाईट तो बोलती
जाओ मच्छर काटें…
ए रब्ब मैंने सुना बहुत कुछ तेरे बारे में
मगर कभी देखा नहीं…
माँ ने मुझे चलना आगे बढ़ना दिखाया
उसी रूप तुझे देखा है…
Gazal
अपनी आँखों से दो घूंट पी लेने दो,
कुछ इसी तरह ज़िन्दगी जी लेने दो…
कम्बक्ख्त रात दिन चैन छीनें हमारा,
कुछ इसी तरह से करीब रह लेने दो…
खुशनसीब है वो जो गिरफ्तार इनमें,
कुछ इसी तरह से दीदार कर लेने दो…
ज़िन्दगी की साँझ सवेरा इन आँखों में,
कुछ इसी तरह से आखिर सांस लेने दो…
Lamhein
अभी तो दूध के दांत भी न टूटे
इश्क़ कैसे करलें,
मम्मी से दूध पीते तेरे से कॉफ़ी
भला कैसे पी लें…
तुझ से मुहब्बत कितनी तुझे एहसास करा जाएंगे,
रख Wallet में तेरा फोटो दुनियां से चले जाएंगे…
ए दिल रूठने मनाने का ज़रा वक़्त तो निकाल,
सुना है मुहब्बत में पड़ तेरे पास वक़्त ही न रहा…
शाम ए गम और तन्हा रातें जीने न देंगी,
पियें कितना भी मगर उसे भूलने न देंगी…
उफ़ यूँ इक़रार ए मुहब्बत क्यूँ कर दिया,
भरी महफ़िल में खुदको रुस्वा कर लिया…
मेरे जीते जी मेरे हो न पाए
हो जाये गर यक़ीन मुझ पर तो…
अश्क़ बहाना न बेशक मगर
मेरी मज़ार पर मिलने आ जाना…
वो सब सत युग की बातें थी,
अब वफ़ा बिस्तर पे दम तोड़ती…
अब मुझ से मिलने की ख़ाहिश ना रख,
तुझे वादा निभाना न आता मुझे तोडना…
तुम अपनी निगेहबानी मुझे देदो,
दे अपने गम मुझ से ख़ुशी लेलो…
आज फिर इक बेवफा से मुलाकात हो गई,
ज़िन्दगी फिर बेज़ार हो गई…
गरजपरस्त ज़माने में हर और मगरूरियत है,
मुहब्बत फिर बाजार हो गई…
अब के जो मिलेगी इक़रार कर दूंगा
हाँ जो कहेगी फिर हाथ थाम लूंगा…
बड़ा तंग करती है रात ख्वाबों में आ
रातों का कुछ यूँ इंतज़ाम कर लूंगा…
फल्क़ पे पत्थर से निशाना लगाने वालो
ये न भूलो तुम,
जितनी जल्दी जाने में लगी उससे तेज वो
लौट के आएगा…
देखो करते हो जो प्यार तो
किया वादा निभाया करो…
रात जगाना अच्छी बात नहीं
रोज़ रोज़ न तड़पाया करो…
मुहब्बत एक इबादत है
ये नहीं के I Love You कहा
और काम हो गया…
इश्क़ में दिल को बेक़रार किया
क्या खता थी तुझ संग प्यार किया…
न क़बूल था तो मना ही कर देती
क्यों रुस्वा मुझे सर ए बाजार किया…
उफ़ कम्बक्ख्त इतनी हसीं और खोने की बातें,
इक बार मिलो तो सही प्यार भी होगा इक़रार भी…
ना तेरा प्यार हूँ ना तेरा इक़रार हूँ,
फिर बता वफ़ा करूँ तो कैसे करूँ…
इश्क़ फसलों से ही हुआ करता है हज़ूर,
करीब रहकर तो जिस्म का मिलन होता…
इक बार नहीं सौ बार नहीं हर जन्म में प्यार तुझी से करेंगे,
जनता”सागर”तू बेवफा है फिर भी एतबार तुझे पर करेंगे…
तेरी हर दुआ अब क़ामिल हो,
बेशक मेरा नाम न शामिल हो…
रात अँधेरे में मुझसे क्या गज़ब हो गया,
देना था जो फूल उसकी माँ को दे दिया…
पता चला मेरे पापा को तो लाल हो गए,
घर में मेरे He सौतन वाले हाल हो गए…
ना पूछ मुझसे मेरी बेक़रारी का आलम,
जब देखूं आइना आँखों में तुझे पाता हूँ…
तेरी बेवफाई की बातें हैं सब
हर दूजे शक़्श को तूने चाहा है…
तेरी मुहब्बत तुझे मुबारक़ हो
मिले जिसे तूने दिल से चाहा है…
मेरी दीवानगी की हद्द पर न जा सुन ज़रा !
ये ज़िन्दगी तो क्या हर जन्म तेरे नाम किया !!
मौसम के साथ
वो भी बदल गए…
तारीफ उनकी की
वो पागल कह गए…
कोई इरादा ऐसा न करना,
जो न हो मुक़म्मिल तो जी न पाएं…
पाक वफ़ा की चाहा में फिर,
किसी बेवफा से मुलाकात हो जाए…
सोचा था वो Single है
पर वो Mingle निकली…
चल छोड़ “सागर”,
कोई और देखें…
मेरी आँखों में हैं तेरे मेरे प्यार के किस्से,
इन आँखों में ही कभी शाम ढल जाएगी…
ये Offer है या है मजाक
है क़बूल गर तो,
वक़्त बताओ कब आना
दीवाने हैं पागल ज़िद्दी भी…
गोया हम तो पागल जो इंतज़ार करते,
होटल में बैठ काफी पर काफी पीते हैं…
तुम हो की टाइम दे कर भूल जाती हो,
रात बैचैन दिन को बेकरार यूँ करते हो…
काश तू कुंआरी होती
छत पर बाल सूखा रही होती
गुज़रता तेरी गली से मैं
नज़र मैंने भी तुझपे मारी होती…
क्या खता थी ये तो बता
दिल चुरा गैर की क्यूँ हो गयी
हुस्न ओ जमाल की मूरत
काश तू हम पर दिल हारी होती…
नहीं होता तसव्वुर गैर का
आ मिल कोई रास्ता ही सुझा दे
मेरे ख्वाबों की तस्वीर तूही
ए खुदा यही तस्वीर हमारी होती…
यूँ रात भर जगाया न करो
प्यार है तो ख्वाबों में आया न करो..
करवटें बदलते रात गुज़रती
तकिया बन देखो यूँ सताया न करो…
वो और होते जिन्हें मुहब्बत में इंतज़ार पसंद,
यहाँ दिल लेने देने बाद ज़माने से लड़ना पसंद…
वो परवाना क्या जो शम्माँ को चाहे और डरे,
गर मुहब्बत करना आता तो निभाना भी आता…
यूँ जुल्फें खुली छोड़ तूने
क्या गुड नाईट कह दिया,
बाँहों में रात भर जगाया
और गुड मॉर्निंग कर दिया.
जब भी आता है तेरा हाथ मेरे हाथों में,
मेरे मुक़द्दर में और इजाफा हो जाता है…
उफ़ यूँ पलकें झुका ये क्या कुफर कर दिया,
न कहा न हाँ सारी उम्र का गुलाम कर लिया…
इन झुकी पलकों की खता है या मेरी,
जबसे देखा तुझे दिल दीवाना हो गया…
चाय की चुस्कियां हों और तेरा हाथ मेरे हाथ हो
तुम मुझे देखती रहो मैं तुम्हें और वक़्त रुक जाये…
इस दिल को भी खबर तुम्हारे दिल में क्या है,
मगर शर्म ओ हया कुछ ज़ुबाँ से कहने न देती…
आ करीब आ इस हया की चद्दर को उतार दूँ,
करीब खींच कर तुझे अपनी बाहों में सुला लूँ…
मेरे मेहबूब मुझे अपनी पन्हाओं में लेले…
ज़िन्दगी से महरूम हूँ बाँहों में लेले|
Tujhe jine ka shauk
mujhe marne ka
Isiliye teri yaadein
sath liye ja rha hun
तुम वो अधूरे ख्वाब हो
जब जब आते पूरा सा लगते
न छुप छुप देख मेरी प्रोफाइल को,
आ गया मुझ पे तेरा तो पछ्तायेगी…
तड़पेगी जागेगी रात करवटें बदल,
खुदा कसम मेरी नींद भी ले जाएगी…
तुम मानो या न मानो तुम्हारी मर्जी पर
तुम्हें प्यार किया है ज़िन्दगी से बाद कर
ये तेरी शर्बतों आँखें
डूबने को जी चाहता…
होंठों से छलकती मय
पीने को जी चाहता…
बला की खूबसूरत हो
घर लाने को जी चाहता…
दिल में बसा तुझ को
पूजने को जी चाहता…
ए चाँद उतर मेरे आंगन
देखने को जी चाहता…
शायर की ग़ज़ल सी हो
नज़्म कहने को जी चाहता…
झूठ बोलने की इतनी भी आदत ठीक नहीं यारा
फ़िक्र होती हमारी हर लफ्ज़ पर फ़िदा हो जाती…
कौन कम्बक्ख्त कहता है के दिल से निकाल
आँख मिले अब तो दिल से भुलाया न जायेगा…
किस बात का नाज़
किस बात पर मगरूर हो…
लगता किसी के प्यार
में चोट खाये ज़रूर हो…
जो गुज़र गई वो हवा हूँ मैं
जो तेरे साथ वो लम्हाँ हूँ मैं…
कभी आना मेरी गली मगर,
मैं हूँ या न हूँ इस बात का ख्याल रखना..
इतनी देर ना करना नगर,
जो गुज़र जाऊं तो फिर मलाल न करना…
वाक़िफ़ हूँ तुझ से तेरी बेवफाई से मैं
फिर भी मेरी सांसों की मेहबूबा है तू…
इक बार हीर बनकर तो देखो रांझे से कम नहीं हैं,
गर वफाओं में दम होगा हीर का राँझा ज़रूर होगा…
हर ख्वाहिश यहाँ मुक़म्मिल नहीं इक ख्वाहिश बाद,
टूटती सांसों पर भी कोई न कोई अधूरी रह ही जाती…
बात बेबात पर यूँ खुदा से कुछ न कुछ माँगा न करते,
उसे सब खबर है कब किसको क्या क्या कहाँ देना है…
यूँ सज धज आजकल रातों को तुम छत पर न आया करो,
बला की खूबसूरत हो कोई नादानी कर बैठेगा चाँद समझ…
अल्लाह ही बचाये इन हसीनों के नखरों से,
नाक पे गुस्सा आँखों में सपनें दिल बेकरार…
हम ना हों तो ये गुस्सा ये नशीली आँखें ये बेक़रारी किस काम की…
मुसीबत हैं माना मगर बिन मुसीबत ये जवानी तेरी किस काम की…
दिल में तो हाँ हाँ है मगर
ऊपर से न ना,
अब तो रब्ब ही इनकी
तीर ए नज़र से…
क्यों कराती हो मेरी सब दोस्तों में तौहीन,
यूँ मेरे ख्यालों में खो चाय न बनाया करो…
डर है कहीं मेरी नज़र ना लग जाए तुम्हें,
इतने प्यार से तुम यार चाय न बनाया करो…
किस्मत से मैं तेरे दिल के करीब हूँ,
वरना तरसे हैं कई मुझे पाने खातिर…
क्यों इतना हम पर भड़कती
लगता खाना आजकल कम खाती हो…
नहीं हिम्मत तो फाका न रखो
बात बात पर हमें खाने को दौड़ती हो…
गर वफाओं में जनून होगा
खुदा को भी तेरा मेरा मिलन क़बूल होगा…
इश्क़ कर उम्मीद भी रख
एक दिन सबको अपना रिश्ता मंजूर होगा…
न कर शरारत मेरे दिल से
आ गया तुझ पर तो पछ्तायेगी…
रात भर करवटें बदलेगी
तकिया बाहों पकड़ सहलाएगी…
जिन्हें इश्क़ होता सच्चा वो झूठ नहीं बोलै करते,
एक से वफ़ा की दुहाई दे दूजा रिश्ता न जोड़ा करते…
कोई शिक़वा नहीं शिकायत
जो भी मिला रब्ब की मेहर…
खूब गुज़रा यहाँ वक़्त”सागर”
जो भी गुज़रा जैसे भी गुज़रा…
आज मुहब्बत के जो मसीहा बनते,
पल पल हर किसी को Love u कहते…
अपनी दुआओं में शामिल रखना,
जाने किस मोड़ मुलाक़ात हो जाये…
न रूठें तुझसे तो मनाओगी किसे
प्यार बेशुमार जताओगी कैसे,
कहे तो सखियों संग दिल लगाएं
फिर अपना हमें बनाओगे कैसे…
उसे गरूर दिल न देने पर
हमें मगर चुराने की थी आदत…
ना न करते प्यार कर बैठी
दिल देने की जिसे थी न आदत…
एक तरफ है सारी खुदाई
एक तरफ माँ होती,
माँ के कदमों में ही”सागर”
असली ज़न्नत होती…
खुदगर्ज़ ज़माने में वफ़ा तलाश
न कर “सागर”,
लोग मिलते अब यहाँ बस
मतलब के लिए…
Lamhein
उसे भाभी कहूं
तो वो रोकती
Ma’am बोलूं तब
भी टोकती
Gf कह नहीं सकते
पराई अमानत जो यारो…
यूँ छुप छुप तुम जो रात छत पर मिलते हो
कसम से पड़ोसियों में बहुत खटकते हो…
उनकी आँखों का निशाना बन गए हैं हम
तुम्हारे माँ बाप क्या लड़के सभी ढूंढते हैं…
मुझसे बेहतर अगर मिलता है तो
कल की जाती अभी चली जा😤
मगर सुनो !!दो बच्चों के साथ
लौट कर न आना🌹 धर्मशाला नहीं😜
ओये ईद का बहाना कर
हर किसी के करीब जा गले मिल रही…
और अपनी सखियों को
कोरोना डर दिखा हम से दूर रख रही…
दो मिनट की ख़ुशी खातिर
इक अबला का जीवन बर्बाद किया…
जैसी छाती से दूध है पिया
वैसी छाती क्यूँ नियत खराब किया…
नाक साफ करना आता नहीं
चली है इश्क़ करने…
पहले रोटी बनाना तो सीख
ज़माटो से मंगाएगी…
नाराज़ नहीं हूँ तुझसे ज़िन्दगी
बस थोड़ा सा खफा हूँ…
बहुत मुहब्बत की तुझसे मैंने
बेवफाई ज़रूर करेगी…
ओये जमेटो बेस्ड छोरियो गैस खतम था
फिर भी जंगल से लकडिया ला रोटी पकाई💕
पुलिस ने ठौर गोड़े तोड़ डाले लोकडॉन में
जैसा बना खालो क्या क्या कराओगी और😩
चाय बनी हुई है
जल्दी जल्दी आ जाओ ठंडी होने से पहले💕
ओये भुखियो
साथ में एक एक बिस्कुट पैकेट लेती आना😊
जवानी में यारो जब जब चढ़े
इश्क़-ए-ज़नून…
पल्ट घर के कांच की खिड़कियाँ
भी देख लेना…
इक तेरे सिवा ज़िन्दगी का
तस्सव्वुर नहीं,
जब दिल चाहे सीने में देख
दीदार कर लेते…
आज शाम छत पर ना आना
बड़ी खूबसूरत हो ऊपर से सजना संवरना…
ईद मुबारक ईद मुबारक कह
शोहदे दीवानें ईद मानलें तुझे चाँद समझ…
यूँ सज्ज संवर छत पर जो आई
सारा मोहल्ला कह उठा…
ईद मुबारक हो ईद मुबारक हो
लो चाँद निकल आया…
बड़ा लुत्फ़ था जब
होली और ईद पर गले मिलते थे…
बिच में कम्बक्ख्त
ये”कोरोना”करो न करता आ गया…
तुम चाय की तरह हो
सुबह उठते ही याद आती हो…
वो नरम तकिया हो
हर रात बाँहों को सहलाती हो…
सब झूठ है और झूठे हैं वादे हक़्क़ीक़त और है,
हमनें देखा मुहब्बत को गैर बाँहों में दम तोड़ते…
रिश्ते बनाना आसां होता “सागर”,
जो निभाए वही अपना हो “सागर”…
उफ़ ये कम्बख्त बारिश उसपर तेरा भीगा बदन,
नशा लब का बढ़ रहा बाहें बेताब बाँहों लेने को…
चाँद को जिस जिस ने ठुकराया है
उसने सकूँ फिर कहाँ और पाया है…
अपना अपना मुक़द्दर अपनी सोच
अक्सर लोगों ने दाग देख पाया है…
वो कहते लड़कों को फॉलो नहीं करते
क्या करें बोलो भीड़ इकट्ठा बस…
कम्बख्त फॉलो करो तो न लाइक देते
हमारी लाइन पर लाइन मारते रहते…
दिल ए हसरत निगाहों से ही क़बूल फरमाओ हज़ूर,
जानते ज़माना कभी मुहब्बत का मुस्तबिल न हुआ…
कोई ऐसी भी जवानी ना गुज़री
जिस ने जाम ए उल्फत ना पिया…
मदहोश हो लड़खड़ाई ना कभी
तस्वीर का तस्सव्वुर ही ना किया…
सब सोहनी सोचता हूँ किस किस को
क्या क्या बनाऊं…
किसी को साली किसी को आंटी और
किसे बीवी बनाऊं…
अपनी आँखों का काजल
बना कैद करलो मुझे,
इससे पहले के कोई और
कोर्ट आर्डर न ले आए..
शिद्दत से चाहा उसे और सामने
इक़रार भी किया,
उसने इक़रार भी किया फिर बोली
मजाक था यार…
तुझे इतने लाइक्स दिए के
मेरा नाम ही लिखे हो गया,
सब लाइक लाइक लिखती
किस किस को मना करूँ…
” कुछ गिला तुम्हें भी होगा
शिकायतें इधर भी कम नहीं हैं,
कोई वादा हमनें भी तोडा
हर वादा तुमनें भी ना निभाया…
फिर भी रातों जगी हो तुम
तस्वीर सीने से लगाए हमारी,
क्या बात क्या राज़ बताओ
एक हमें गुनहगार ना बनाओ…”
कह दो शोखियों से शरारत न करें,
रात का जगा ज़रा तो चैन लेने दो…
जुम्मे का वादा था
आज तो मिलने छत पर आना ज़रूर,
ईद को निकलोगे
गली में क़तारीं दीदार कहाँ करने देंगी…
उफ़ यूँ इक़रार ए मुहब्बत क्यूँ कर दिया,
भरी महफ़िल में खुदको रुस्वा कर दिया…
आँखों के काजल में सिमटने दो
बेवजह “सागर” को गुनाह करने दो…
ज़िद्दी आवारा पागल है ये दिल
दिल को प्यार “सागर ” से करने दो…
ए वक़्त ठहर ज़रा
अभी तो मेहबूब आया है,
दो पल ही बैठे और
तूने भी पहरा लगाया है…
छुप छुप क्या चेक करते हमारी प्रोफाइल को दीवानों,
गर्ल फ्रेंड पर ज़रा यक़ीन नही चले हमें आँखें दीखाने…
क्यों सब पीछे पड़ी हो
पटानी तो एक😜
अरे बाबा सबको पिज़ा
नहीं खिला सकते👋
तो आजा देरी किस बात की
जान ए जं हद से गुज़र जाएं,
मौसम भी है आशिक़ाना क्यूँ
न बिन फेरे हम तेरे हो जाएं…
किस किस को पटाऊँ
किस मिस को मैं मिस करू…
सब एक से बढ़ के एक
किस मिस को मिसेज़ बनाऊं…
इक मुसाफिर हूँ मैं भी यहाँ यारो,
जाने कब सफर खत्म हो जाएगा…
अपनी जुल्फों की छांव तले ज़िन्दगी बसर कर लेने दो,
कसम से थक गए हैं उम्र की पत्थरीली राहें चलते चलते…
फुदक फुदक यूँ न चला कर
कद्दी नाम ही मेंढकी पड़ जायें…
कहीं लोग कहने लगें मेंढकी
पे दिल आया हूर से क्या लेना..
शाम का समाँ चाय की चुसकियाँ
और उनका ख्याल,
तन्हाई का अहसास करता उनका
दिया हुआ रुमाल…
इन जुल्फों की लट गर इतनी ज़िद्दी
के गालों को छूने नहीं देती,
कसम खुदा की फिर देख इन होंठों
को चूम कर दम लेंगे अब…
आईने के आगे खड़ी हो जब
वो काजल लगती है…
लगता है मुझे नज़र लगने से
दुनियां से बचती है…
आ जाओ बन मेरी रजाई❤️
कसम से बहुत सर्दी है😩😩
वो अफसाना जो दिल को दर्द देता है,
दुनियां को अलविदा कह भूलना होगा…
न हिन्दू हूँ मैं न मुसलमान
उससे पहले इक इंसान हूँ…
ईश्वर मेरा अल्लाह भी मेरा
सबकी मैं दिल ओ जान हूँ…
एक तो आती नहीं
आती तो कितना पकाती हो…
कसम खुदा की
बेमौत ही मार जाती हो…
जब भी मिलती हो रुख पर
हिज़ाब तान लेती हो,
शुक्र खुदा का चाहने वाले को
पहचान तो लेती हो…
वो और होंगे जिन्हें हसीनो का गिरा रुमाल उठाने की आदत,
यहाँ तो कभी गिरा हुआ नोट न उठायें…
अभी तो दूध के दांत भी न टूटे
इश्क़ कैसे करलें,
मम्मी से दूध पीते तेरे से कॉफ़ी
भला कैसे पी लें…
तुझ से मुहब्बत कितनी तुझे एहसास करा जाएंगे,
रख Wallet में तेरा फोटो दुनियां से चले जाएंगे…
ए दिल रूठने मनाने का ज़रा वक़्त तो निकाल,
सुना है मुहब्बत में पड़ तेरे पास वक़्त ही न रहा…
शाम ए गम और तन्हा रातें जीने न देंगी,
पियें कितना भी मगर उसे भूलने न देंगी…
उफ़ यूँ इक़रार ए मुहब्बत क्यूँ कर दिया,
भरी महफ़िल में खुदको रुस्वा कर लिया…
मेरे जीते जी मेरे हो न पाए
हो जाये गर यक़ीन मुझ पर तो…
अश्क़ बहाना न बेशक मगर
मेरी मज़ार पर मिलने आ जाना…
वो सब सत युग की बातें थी,
अब वफ़ा बिस्तर पे दम तोड़ती…
अब मुझ से मिलने की ख़ाहिश ना रख,
तुझे वादा निभाना न आता मुझे तोडना…
तुम अपनी निगेहबानी मुझे देदो,
दे अपने गम मुझ से ख़ुशी लेलो…
आज फिर इक बेवफा से मुलाकात हो गई,
ज़िन्दगी फिर बेज़ार हो गई…
गरजपरस्त ज़माने में हर और मगरूरियत है,
मुहब्बत फिर बाजार हो गई…
अब के जो मिलेगी इक़रार कर दूंगा
हाँ जो कहेगी फिर हाथ थाम लूंगा…
बड़ा तंग करती है रात ख्वाबों में आ
रातों का कुछ यूँ इंतज़ाम कर लूंगा…
फल्क़ पे पत्थर से निशाना लगाने वालो
ये न भूलो तुम,
जितनी जल्दी जाने में लगी उससे तेज वो
लौट के आएगा…
देखो करते हो जो प्यार तो
किया वादा निभाया करो…
रात जगाना अच्छी बात नहीं
रोज़ रोज़ न तड़पाया करो…
मुहब्बत एक इबादत है
ये नहीं के I Love You कहा
और काम हो गया…
इश्क़ में दिल को बेक़रार किया
क्या खता थी तुझ संग प्यार किया…
न क़बूल था तो मना ही कर देती
क्यों रुस्वा मुझे सर ए बाजार किया…
उफ़ कम्बक्ख्त इतनी हसीं और खोने की बातें,
इक बार मिलो तो सही प्यार भी होगा इक़रार भी…
ना तेरा प्यार हूँ ना तेरा इक़रार हूँ,
फिर बता वफ़ा करूँ तो कैसे करूँ…
इश्क़ फसलों से ही हुआ करता है हज़ूर,
करीब रहकर तो जिस्म का मिलन होता…
इक बार नहीं सौ बार नहीं हर जन्म में प्यार तुझी से करेंगे,
जनता”सागर”तू बेवफा है फिर भी एतबार तुझे पर करेंगे…
तेरी हर दुआ अब क़ामिल हो,
बेशक मेरा नाम न शामिल हो…
रात अँधेरे में मुझसे क्या गज़ब हो गया,
देना था जो फूल उसकी माँ को दे दिया…
पता चला मेरे पापा को तो लाल हो गए,
घर में मेरे He सौतन वाले हाल हो गए…
ना पूछ मुझसे मेरी बेक़रारी का आलम,
जब देखूं आइना आँखों में तुझे पाता हूँ…
तेरी बेवफाई की बातें हैं सब
हर दूजे शक़्श को तूने चाहा है…
तेरी मुहब्बत तुझे मुबारक़ हो
मिले जिसे तूने दिल से चाहा है…
मेरी दीवानगी की हद्द पर न जा सुन ज़रा !
ये ज़िन्दगी तो क्या हर जन्म तेरे नाम किया !!
मौसम के साथ
वो भी बदल गए…
तारीफ उनकी की
वो पागल कह गए…
कोई इरादा ऐसा न करना,
जो न हो मुक़म्मिल तो जी न पाएं…
पाक वफ़ा की चाहा में फिर,
किसी बेवफा से मुलाकात हो जाए…
सोचा था वो Single है
पर वो Mingle निकली…
चल छोड़ “सागर”,
कोई और देखें…
मेरी आँखों में हैं तेरे मेरे प्यार के किस्से,
इन आँखों में ही कभी शाम ढल जाएगी…
ये Offer है या है मजाक
है क़बूल गर तो,
वक़्त बताओ कब आना
दीवाने हैं पागल ज़िद्दी भी…
गोया हम तो पागल जो इंतज़ार करते,
होटल में बैठ काफी पर काफी पीते हैं…
तुम हो की टाइम दे कर भूल जाती हो,
रात बैचैन दिन को बेकरार यूँ करते हो…
काश तू कुंआरी होती
छत पर बाल सूखा रही होती
गुज़रता तेरी गली से मैं
नज़र मैंने भी तुझपे मारी होती…
क्या खता थी ये तो बता
दिल चुरा गैर की क्यूँ हो गयी
हुस्न ओ जमाल की मूरत
काश तू हम पर दिल हारी होती…
नहीं होता तसव्वुर गैर का
आ मिल कोई रास्ता ही सुझा दे
मेरे ख्वाबों की तस्वीर तूही
ए खुदा यही तस्वीर हमारी होती…
यूँ रात भर जगाया न करो
प्यार है तो ख्वाबों में आया न करो..
करवटें बदलते रात गुज़रती
तकिया बन देखो यूँ सताया न करो…
वो और होते जिन्हें मुहब्बत में इंतज़ार पसंद,
यहाँ दिल लेने देने बाद ज़माने से लड़ना पसंद…
वो परवाना क्या जो शम्माँ को चाहे और डरे,
गर मुहब्बत करना आता तो निभाना भी आता…
यूँ जुल्फें खुली छोड़ तूने
क्या गुड नाईट कह दिया,
बाँहों में रात भर जगाया
और गुड मॉर्निंग कर दिया.
जब भी आता है तेरा हाथ मेरे हाथों में,
मेरे मुक़द्दर में और इजाफा हो जाता है…
उफ़ यूँ पलकें झुका ये क्या कुफर कर दिया,
न कहा न हाँ सारी उम्र का गुलाम कर लिया…
इन झुकी पलकों की खता है या मेरी,
जबसे देखा तुझे दिल दीवाना हो गया…
चाय की चुस्कियां हों और तेरा हाथ मेरे हाथ हो
तुम मुझे देखती रहो मैं तुम्हें और वक़्त रुक जाये…
इस दिल को भी खबर तुम्हारे दिल में क्या है,
मगर शर्म ओ हया कुछ ज़ुबाँ से कहने न देती…
आ करीब आ इस हया की चद्दर को उतार दूँ,
करीब खींच कर तुझे अपनी बाहों में सुला लूँ…
मेरे मेहबूब मुझे अपनी पन्हाओं में लेले…
ज़िन्दगी से महरूम हूँ बाँहों में लेले|
Tujhe jine ka shauk
mujhe marne ka
Isiliye teri yaadein
sath liye ja rha hun
तुम वो अधूरे ख्वाब हो
जब जब आते पूरा सा लगते
न छुप छुप देख मेरी प्रोफाइल को,
आ गया मुझ पे तेरा तो पछ्तायेगी…
तड़पेगी जागेगी रात करवटें बदल,
खुदा कसम मेरी नींद भी ले जाएगी…
तुम मानो या न मानो तुम्हारी मर्जी पर
तुम्हें प्यार किया है ज़िन्दगी से बाद कर
ये तेरी शर्बतों आँखें
डूबने को जी चाहता…
होंठों से छलकती मय
पीने को जी चाहता…
बला की खूबसूरत हो
घर लाने को जी चाहता…
दिल में बसा तुझ को
पूजने को जी चाहता…
ए चाँद उतर मेरे आंगन
देखने को जी चाहता…
शायर की ग़ज़ल सी हो
नज़्म कहने को जी चाहता…
यूँ सज धज आजकल रातों को तुम छत पर न आया करो,
बला की खूबसूरत हो कोई नादानी कर बैठेगा चाँद समझ…
Nazam
उफ़्फ़ ये कम्बक्ख्त शराबी आँखें
मदहोश करती ये कुंवारी आँखें
उफ़्फ़ ये…
गदराया बदन और महकती सांसें
बाँहों में लेने को तड़पती बाहें
उफ़्फ़ ये…
खिला खिला सा यौवन अंगड़ाई
देख चमन की हर कली शरमाई
उफ़्फ़ ये…
बलखाती कमर लहराती चाल
जो देखे हो जाए वही निहाल
उफ़्फ़ ये…
Lamhein
गर परवाह थोड़ी सी भी की होती
साहिल तुझे मिल गया होता…
किश्ती मेरी भी भँवर में ना घिरती
मुझे भी किनारा मिल गया होता…
लोमड़ी को अंगूर न मिले तो खट्टे हैं,
जिसने खाया अंगूर उनसे पूछ कितने मीठे हैं…
नहीं पसंद तेरा किसी से मिलना बातें करना या फॉलो करना,
अब तू ही फैसला कर इतनी बंदिशों में रह मेरा प्यार क़बूल है…
किसी की चाहत का
जब बनाओगे मजाक,
सब्र जवाब दे जायेगा
फिर मिले कैसे जवाब…
ज़िन्दगी तो बेवफा है
फिर वफ़ा की उम्मीद कैसी.
एक न एक दिन जाना
फिर रखें इतनी चाहत कैसी…
अपनी दुआओं में उतना ही याद रखना,
न मिलें तो भूलना मुश्किल न हो “सागर”…
इक मुहब्बत सिवा और भी कई काम कई ख्वाहिशें हैं,
कीमत नलगा अपनी हस्ती या हंसी की किसी खातिर…
ख्वाबों में तो रोज़ रोज़ तंग करते
कभी रूबरू हो भी मिला करो…
देखो प्यार करते तो सीधा बताओ
न तो जान देने से न रोका करो…
अपनी पलकों के आईने में बिठा ले
माथे की बिंदिया में सज़ा ले मुझको…
लब से लेते मेरा नाम शरमाया न कर
साजन हूँ बता सखियों से बचा मुझको…
मुहब्बत भी कितनी अजीब होती “सागर”,
किसी को पीर किसी को फ़कीर बना देती…
चाहा तुझे टूट कर
अब नफरत भी देख…
मेरी ना सही मगर
और की न हो सकेगी…
कौन चाहता अपनी मुहब्बत रुस्वा करना,
मगर जब बेवफाई मिले करना ही पढ़ता…
ना कर इंतज़ार उस बेवफा का जिसने,
मुहब्बत तुझसे की सेज़ गैर संग सजाई…
इन टेडी मेढ़ी राहों पर हो कर गुज़रती ज़िन्दगी,
राह आसाँ हो तो ज़िन्दगी में लुत्फ़ ही क्या बचा…
ए चाँद ज़रा सम्भल जा
मेरी छत रोज़ न आया कर,
दिन तो तड़पते ही हम
रातों को यूँ न जगाया कर…
जब जब कहा उससे
आ ज़रा मिल और चेहरा तो दिखा जा अपना…
बहाने पे बहाने किये
एहसास उसे भी नज़रें हाल ए दिल बयाँ करती…
मेरी शायरी हो मेरे ख्वाबों
की मलिका हो,
ए हुस्न खुदा की कसम
बड़ी लाजवाब हो…
गर मुहब्बत तो साफ साफ इजहार करो,
वक़्त गुज़रे बाद पछताने से क्या हासिल…
ए सुबह रोज़ रोज़ यूँ
मुस्कुरा मुझे सबसे मिलाना,
शुक्रिया शुक्रिया मुझपे
एहसान तेरा बरसों पुराना…
कुछ एहसानफरोश यहाँ ऐसे भी
वक़्त ज़रूरत याद करते…
जो मना करो वही काम करते हैं
फंस जाएं तो भागे फिरते…
दुआओं में शामिल रखना
जाने कब मुलकात हो जाये…
तुझे भी मिल कर यारों से
कहीं भूले से न प्यार हो जाये…
मुहब्बत गर हमसे
हिजाब में चेहरा न छुपाया करो…
हमसे काहे यूँ पर्दा
देखो अब ऐसे न तड़पाया करो…
जब किसी से मुंह फेरा
मुड के न फिर देखा है…
बेवफा नहीं है ज़रा भी
बस बेवफा न झेला है…
देखा तेरे हुस्न का जलवा
दिल दीवाना हो गया…
ए शम्माँ अब यूँ ना इतरा
दिल परवाना हो गया…
क्या खूब है तेरे लबों की लाली,
थोड़ा चुरा लूँ तो नाराज़ न होना…
इसी बहाने तुझे करीब रख लूंगा,
मेरे मेहबूब मगर नाराज़ न होना…
माना तेरा तलबगार हूँ दीवाना हूँ,
आँखों में बसा लूँ नाराज़ न होना..
न कर इश्क़ तुझ पर ज़ोर नहीं है,
जं देदूं गर दर तेरे नाराज़ न होना…
उसकी बातों में क्या आना
जिसे करके वादा न निभाना
खानी मुहब्बत भरी कसमें
मगर दिल को दुःख पहुँचाना
क्यों कपड़ों की तरह वो बदलते हैं दिल
आज लोग मुहब्बत को तमाशा समझते
जो जिसे पसंद नहीं वो काम करती हो
तुम तो हर दूजे शक़्श से प्यार करती हो
करीब आओ तो डांटती
दूर जाओ तो तड़पती…
तुम ही बताओ क्या करें
प्यार तुमसे कैसे करें…
किश्तियाँ उन की ही मझधार पार करती,
जिनके इरादे तूफानों से ज्यादा बुलंद होते…
ज़िन्दगी हंस के गुज़र जाये तो अच्छा,
कौन जाने कब आखिर पल हो जाए…
मेरी ज़िन्दगी की तू ही वफ़ा
तू ही इक मुहब्बत,
मैंने हर पल तुझे चाहा मगर
कभी जताया नहीं…
इश्क़ क़द्दर चढ़ा तेरे इश्क़ का जनून,
चाय की प्याली में भी नज़र आती है…
इतने फूल बाँटे इन छोरियों को
फूल कर कुप्पा हो गई…
शादी से पहले ही सब की सब
जैसे गोल गप्पा हो गई…
Gazal
क्या खूब है तेरे हुस्न की अदाएगी
बंदा तो बंदा रब्ब भी मचल जाये..
ये होंठ ये काली जुल्फें घटाओं सी
बरसे जो पानी में आग लगा जाएं…
मेरे तस्सव्वुर की इक तूही मलिका
आये ख्यालों में यूँ बैचैन कर जाए…
दुआओं में जब जब हाथ उठते मेरे
तेरा नाम ज़ुबाँ पे रह रह आ जाये…
जानता हूँ गैर है और की अमानत
क्या करूँ देख दिल बहक जाये…
बहुत यक़ीन उस पे खुद से ज्यादा
वो हो मेरी या अब जां चली जाये…
Lamhein
बेशुमार नहीं इस दिल के रहनुमा,
इक तू ही जिसे शिद्द्त से चाहा है..
राह ए ज़िन्दगी यूँ ही
तन्हा न कट पाएंगी,
भिगो लोगे आँखें जो
साथ हमें न पाओगे…
क्या खूब है जान ए बहार
तेरी ये कजरारी आँखें…
देखी अपनी तस्वीर इनमें
आइना हैं ये तेरी आँखें…
कितनी कमबख्त हैं सबकी सब
रात नौं बजते ही ऑफ लाइन हो भाग जाती…
अरे पापा से इतना डरती हो गर
दिन भर मैसेज कर प्यार की पींगें क्यूँ बढ़ाती…
जुत्ती लुधियाने दी चुन्नी फगवाड़े दी,
दिल लै गई कड कुड़ी पटियाले दी…
तुस्सी इन्ज न वोल्या करो
जे तवाडा इश्क़ सच्चा
राति बुआ खुल्ला रख्या करो…
ये वादीय ए हुस्न ज़रा
संभाल रखिये
ज़माना खराब है…
दीवाना है शहर यहाँ हर
शोहदा समझ
दिल से बीमार है…
आंधी की तरह आती
तूफान जैसे उड़ जाती…
नशीली आँखों वालिये
क्यूँ इतना तड़पती हो…
खफा होने की भी इक हद होती
ज़िद्द होती सज़ा होती
अब मान भी जाओ छोड़ो ये सब
जब होती करीब
सांसों की महक दिल से टकराती…
नज़ारे खिल उठते
जैसे तब सच्चे प्यार का एहसास…
इश्क़ ने कितनों को आबाद किया
कहीं दीप जले कहीं अँधेरा…
टूट कर गर बिखरना ही था”सागर”
तो मुहब्बत की आरज़ू क्यूँ…
शिक़वा न शिकायत कोई तुझसे ज़िन्दगी,
जो भी दिया है बहुत खूब दिल खोल दिया…
तेरी तस्वीर मेरी निगाहों की ताबीर है,
देखूं जिस और भी तू ही तू नज़र आती…
कभी निगाहों से गिराया कभी दिल से,
ए चाहने वाले इतनी मुहब्बत करी क्यूँ…
जुल्फों के साये में जीने की
ना आदत ना डालनी…
हमनें तो ये ज़िन्दगी वतन
परस्ती में ही गुज़ारनी…
तन से भी सुन्दर मन से भी सुन्दर,
सुन्दर है मृग नयिनी सी तेरी चाल…
जो भी देखे दीवाना बन जाए तेरा,
हो जाये तूँ उसके सपनों की ढाल…
तेरी दीवानी में इस हद से गुज़र जाउँगा
तेरे पापा को ससुर जी
मम्मी को सासू बुलाऊँगा…
गुज़रूंगा बन ठन तेरी गली से रोज़ रोज़
सखियों का जीजा मोहल्ले
का जवाई बन जाउँगा…
देखो यूँ भीगा न करो
एक तेरा ये खिला यौवन उस पर भीगा बदन…
पानी में आग लगाती
कम्बख्त तन्हा रातों में प्यास लबों की बढ़ाती…
ये जहाँ बेवफाओं की दुनीयाँ में आ गया,
कहने को सब अपने मगर वफादार कहाँ…
वो फूल किताबों में रखा जो दिया था तूने,
जब भी देखता याद आती अब तो आजा…
ना पिला निगाहों से इस क़द्दर साकी मुझे…
बोतल सा नशा हो बाँहों में उम्र गुज़र जाये…
ये पल भी हसीन हैं वो लम्हें भी खुशनसीब होंगे…
जब आखिर पलों में”सागर” रब्ब से रूबरू होंगे…
लुक छुप कर न देखो
के शक में पड़ जाएं..
इस क़द्दर मुहब्बत कर बैठें
के मर भी न पाएं…
कम्बख्त पागल सी मुहब्बत क़ाबिल न थी
फिर भी दिल चुरा ले गई…
बुलाया शाम चाय पर था आई चाय भी पी
मगर प्याली उठा ले गई…
नि तूँ फैसले ही फासले बडान आले कित्ते
हुन मैं दस्स होर कि कराण…
तेनुं रब्ब वर्गा मन दिल च वसाया
सवेरे शाम इक तेरी पूजा मैं कित्ती
हुन दस्स होर कि कराण…
रुक दी हवाँ च साह तेरे नाँ दी
तेनुं ही चाहया जाँ तेरे नाँ कित्ती
हुन दस्स होर कि कराण…
क्या खूब है तेरे हुस्न की अदाएगी,
बंदा तो बंदा रब्ब भी बहक जाए…
वो खुशनसीब होगा जो तेरे करीब,
तेरे नूर से वो भी मशहूर हो जाए…
तेरा तस्सवुर इक हसींन लम्हा है,
दुआ करो यारो वक़्त रुक जाए…
माना जहाँ में कई बेक़दर हैं”सागर”,
ए खुदा उनकी तासीर बदल जाये…
मंजिल अलग अलग मक़सद भी अलग तरीका भी..
मगर न भूलो “सागर” उम्मीद सब की एक सी होती…
न कर मेरे दोस्तों से मेरी शिकायत,
नाराज़ हो सकते मगर बेवफा नहीं…
कितना खुशनसीब है पानी
जब जब नहाती होगी तेरे बदन को छु कर…
होले होले उफ़्फ़ कम्बख्त
सर से उतर गले रास्ते नाभि में सिमट जाता…
मुहब्बत हो गई है तुझे,
सुना मुहब्बत करने वाले इस दूनियाँ में नहीं रहते…
ज़िंदा हैं वो लोग जो ज़िंदादिल हैं…
मुर्दों के साथ जीने की आदत नहीं…
किस किस को मिस करूं
किस मिस को हिट करूं…ज़िंदा हैं वो लोग जो ज़िंदादिल हैं…
मुर्दों के साथ जीने की आदत नहीं…
किस किस को मिस करूं
किस मिस को हिट करूं…
सभी एक सी खूबसूरत
किस मिस को फिट करूं…
बहुत खूब है तेरी ज़िंदादिली भरी बातें..
कम ही देखा है हुस्न को इतना बेबाक…
मेरी ज़िन्दगी में आते तो कुछ और बात होती L…
जो ये नसीब जगमगाते तो कुछ और बात होती…
सभी एक सी खूबसूरत
किस मिस को फिट करूं…
बहुत खूब है तेरी ज़िंदादिली भरी बातें..
कम ही देखा है हुस्न को इतना बेबाक…
मेरी ज़िन्दगी में आते तो कुछ और बात होती L…
जो ये नसीब जगमगाते तो कुछ और बात होती…
ये कैसी ज़िद्द तुझे पाने की
तेरी गली जान लुटाने की
इश्क़ समझूँ या कुछ और
पहले तो बताये ज़रा सज्ज धज्ज चांदनी रात निकली ही क्यों थी
क्या ऐसी बात दिन में पूरी न हो सकीं रात पूरी करने निकली थी
थोड़ा झोटे का दूध पिया कर
गेल ताकत भीतर लिया कर,
बड़ी मिठ्ठी रास बरी मलाई तू
छोरों की खाट खड़ी किया कर…
कोई ऐसी भी जवानी ना गुज़री
जिस ने जाम ए उल्फत ना पिया
मदहोश हो लड़खड़ाई ना कभी
तस्वीर का तस्सव्वुर ही ना किया
ओस की बून्द सी नाजुक हो
कुछ शरमाई कुछ घबराई सी…
बागबाँ खुश ऐसी कली पाके
इस दिल को भी है भाही सी…
जब चाँद छुपने को हो
हर तरफ अँधेरा छा जाये
होले चुपके छत पर आ
मेटे चाँद दीदार करा जाना
जब वो गुस्से में होती
लाल मिर्च लगती,
होंठों पे होंठ रखते ही
शक़्कर की बोरी…
Dua करियो महारे सै बापू थारा
ब्याह न कर देवे कद्दी भूल कर सै
भैंस बागी भगति फिरेगी👿
ज़रा ज़रा झुक जाता जब
पलकें झुकाती हो
कलियाँ सब खिल जाती
यूँ मुस्कुराती हो
जब से देखा जलवा ए हुस्न
दिल दीवाना हो गया…
ए शम्माँ अब इतना ना इतरा
दिल परवाना हो गया…
पहले मिली ना थी
आंखें भी लड़ी न थी…
अब बात और हज़ूर
ये इश्क़ का खुमार है…
तुझसे नाराज़ हो ज़िन्दगी मैं कभी जी न पाउँगा,
आजा न लम्हों की बात दुनियां से चला जाऊंगा…
lamhein
क्यों कर हो उन से
वफा की उम्मीद..
प्यार करना तो आये
निभाना न आता…
कौन कहता रूठना बस
तुम्हें आता…
हमने क्या चौक में छोले
बेच रखे…
You’re the Best👌
No one is near about you.
You’re like Sunlight,
Showing me the way of Life.
Without your present,
I’m Nothing 🙏🙏
Happy Father’s Day ❤️
मुद्दत से तमन्ना है कोई मेहज़बीं
अपनी बने…
पांच छः बच्चे हों अपने भी हैप्पी
फादर डे कहें..
आँधी की तरह आती हो और तूफान जैसे चली जाती हो,
मुहब्बत है तो रुक इंतज़ार किया कर नहीं तो रास्ता नाप…
ए वतन पूजा है तुझे माँ समान
तेरी खातिर दूनियाँ से लड़ जाऊंगा…
उठे गर कोई टेडी नज़र तुझ पर
गुस्ताख़ को उसी ज़ुबाँ समझाऊंगा…
क्यों कर हो उन से
वफा की उम्मीद..
प्यार करना तो आये
निभाना न आता…
न कर इश्क़ मुझसे और मेरी सांसों से यूँ,
मेरे साथ जीने की आदत मुश्किल करेगी…
रहने दे अपनी आदत और फितरत की बातें,
देखा है ज़माने को पल पल आशिक़ बदलते…
न कर अपने प्यार
का तकादा
महाजन की तरह,
तुझे शिद्दत से चाहा
कोई उधार
ले मुहब्बत न की…
चुनरिया उठा दीदार ए हुस्न
क्या खूब कराया…
दिली ख्वाहिशों को पंख लगा
जीना है सिखाया…
और कितना गिराओगे खुद को
इतना न गिरना…
नज़र झुकानी पड़े तुझसे निगाह
मिलाने के लिए…
ज़िन्दगी को बहुत करीब से देखा,
अपने बदलते रिश्तों को बिछड़ते…
किस का यक़ीन
करूँ किस का एतेबार,
जिसका किया
कई का दिलदार निकला…
चल ‘सागर”और जहाँ को निकल,,,
इस दुनीयाँ में अब जी लगता नहीं…
जब चली बर्बादी की हवा “सागर”,
जिन टहनियों पर तकिया था
वही झूमने लगी…
दो चार होते गर इस दिल के सनम तो,
कभी का भुला और की पूजा कर लेते…
ये कैसी हवा चली न पास आ सके न दूर जा सके,
क्यों होता ये मिलना नसीब न तो मिलाया क्यूँ था…
तन्हा कटती नहीं
सूनी सूनी सी है ज़िन्दगी चले आओ…
थमती सांसों को
जुल्फों की खुसबू दे उम्र बढ़ा जाओ…
अपनी आँखों में पनपते ख्वाबों से पूछो,
मुक़म्मिल हैं तभी मुस्कान कुछ खास है…
चुन्नू जी भाभी को कहते सुना,
मेरे इन्होनें माँ बाप का बड़ा ख्याल रखना…
काश दुनीयाँ को वो बता पाती,
मरने से पहले वो कितना अरबो छोड़ गए…
तुझको चाहना मेरी ज़िन्दगी की खता हो सकती,
मगर तू और की हो ये खुदा को भी मंज़ूर नहीं है…
खुदा भी देख के परेशां होगा
बना तुझ हसींन मूरत को…
कश्मकश में उसका दिल भी
पास रखे के ज़मीं पर भेजे…
अपना बनाने की ख्वाहिश में
अपने और के बन न सके…
तुझे चाहा तुझे पूजा रब्ब मान
किसी को रब्ब बना न सके…
आईना भी मगरूर हो जाता
जब तब देखे जो तू खुदको…
दुआ खुदा से बस मंज़ूर हो
ये हुस्न ए शबाब देदे मुझको…
तुझे चाँद कहूं घटा कहूं
या कहूं कोई नज़ारा…
देखूं जब जब धड़कता
क्या है कोई इशारा..
जब भी देखेगी आइना
अपनी आँखों में मुझ को पायेगी…
बेशक लब पर न न है
खुदा कसम बाद बड़ा पछ्तायेगी…
उसने तोहफे ही दिए मगर
पाक ए वफ़ा ना की…
बैठक की नुमाइश बढाई
शहनाई ना बजवाई…
नई उम्मीद नई खुशिगों का हो बसेरा,
इस वर्ष गुज़रे कुछ नया साल सवेरा…
चिराग ए रोशन तुझसे मेरे जहाँ,
बहुत तरसें इन उजालों खातिर…
ज़िन्दगी को जितना चाहो
उल्टा बेवफाई करेगी,
अब तो “सागर” मुहब्बत
करने से ही तौबा करली…
इस दिल की फ़क़त इतनी तमन्ना,
रुक्सती हो तो वो नज़रों सामने हों…
छतीस को देखा अपने पीछे आहें भरते,
मगर ❤️ मांगे More कम्बख्त मानता नहीं…
जब तुझे मालूम था की हम बेवफा है,
क्यूँ इश्क़ कर फिर क़ातिल बना दिया…
जान भी कहती हो मगर
जान भी लेती हो…
दिन रात याद करते दिनों
बाद मिलती हो…
बहुत मौके दिए बहुत समझाया भी मगर”सागर”,
जिसे बर्बाद होने की चाहत उसका क्या कीजिये…
बहुत रंगीन देखे सोचा था
सपने सच ही होंगे,
बिन सोचे बिन समझे सपनें
तो सपने ही होते…
हुस्न में नज़ाक़त होनी चाहिए,
वरना कोई घास भी न डालता…
आईना भी मगरूर हो जाता
जब तब देखे जो तू खुदको…
दुआ खुदा से बस मंज़ूर हो
ये हुस्न ए शबाब देदे मुझको…
ज़िन्दगी के दौर में अकेला ही रहा “सागर”,
लोग मिलते रहे मगर बिछड़ जाने के लिए…
ये कैसी हसरत पल पल दिल तोड़ती,
चाँद को छूने की चॉंद को पाने की…
उसका चेहरा
मेरी कविताओं की तरह,
हर लफ्ज़
उसकी यादों में लिखा करता…
जब से मिली मोरी अखियां
“सागर” तोहे संग
मैं प्रेम दीवानी होएगी…
अब का कहूं कछु तोहे
“सागर” मैं तो मन से
भारी तोहे बिन होएगी…
मुझसे इतर किसीका तस्सव्वुर भी न कर लेना,
ये आँखें ये मदमस्त होंठ सिर्फ मेरे हैं सिर्फ मेरे…
रब्ब तय करता हर किसी की मंज़िल यारा,
इंसान तो मोहरा वो जिधर चाहे ले जायेगा…
हसीनो के वादों में ना आया करो यार “सागर,
बुलाती रात ग्यारह मगर सुबह तक दीदार नहीं…
पलक उठा नज़र मिला
पलक झुकाने का मतलब समझ आता…
मगर नज़र मिला चुराने
का क्या राज़ है जो हमसे छुपा रहे हो…
क्या खूब मेरी वफाओं का सिला दिया,
बेवफाई की और इलज़ाम भी लगाया…
दो चार लम्हों की दास्ताँ है ज़िन्दगी,
कोई न जाने कौन सा आखिरी हो…
शिकायत फ़क़त उनसे इतनी रही,
बेवफा थे मगर वफादार बनते रहे…
यूँ सर ए बाजार ना मिला कर
मिल तन्हा घर के पिछवाड़े…
खुदा कसम इतनी खूबसूरत है
चूमने को जी चाहता बड़ा…
गर्मी का मौसम
उस पर ये अदा तेरा हुस्न मार ही जायेगा…
बारिश बन बरस
इसी बहाने जिस्म से मिलन भी हो जायेगा..
अपने बीमार से मिलने
की ज़ेहमत तो कर,
कहीं अधूरी ख्वाहिश
लिए रुखसत हो जाए…
पहले तो कॉलेज आती थी शाम छत पर भी,
उफ्फ मार डालेगी ये तेरी ऑनलाइन पढ़ाई…
ए हुस्न अपने यौवन पर यूँ न इतरा
तुझे बनाया जिस ने उसी ने औरों को भी…
माना लाखों मे तेरा हुस्न ए ज़माल
आएगी बाँहों में शबबम सी सिमट जागेगी…
अपनी जुल्फों की घनी छांव में
कुछ पल और ठहर लेने दो…
काली काली सुरमुगी आँखों में
ज़िनदगी बसर कर लेने दो…
बहुत किया था प्यार अब नफरत भी देख ले,
अपनी झूठी मुहब्बत को नीलाम होते देख ले..
क्या खूब है जान ए बहार
तेरी ये कजरारी आँखें…
देखी अपनी तस्वीर इनमें
आइना हैं ये तेरी आँखें…
ना रही कोई लैला सी
ना मजनूं जैसा रहा…
अब तो रोज़ प्यार हो
इश्क़ रुस्वा होता है…
इक चाँद देखा है
ज़मीं पर बिखरर्ता…
दिलफ़रेब देखा है
मुस्कुराता खिलता…
मैं तेरे सब सवालों का जवाब दूँ
ये ज़रूरी तो नहीं…
बस इतना सुन मैं प्यार करता हूँ
करता ही रहूँगा…
Happy Father’s Day 🌹
माना माँ ने पैदा किया
चलना सिखाया
माँ जैसा न कोई…
मगर फिर भी “सागर”
बाप सी छत्र छाया
कोई पेड़ दे न पाया…
बिन बताये भाग जाना
उनकी आदत है..
फिर भी कहते उनको
हमसे मुहब्बत है…
गर मुहब्बत है दिल में सीधे सीधे कह दो..
वक़्त गुज़रे बाद यादें ही रह जाएंगी…
कोई लम्हाँ ऐसा ना गुज़रा जो तुम्हें याद न किया हो…
और बात तुमने कभी दुआओं में भी शामिल न किया…
न भूले हैं न कभी भूलेंगे,
हर वक़्त दुआओं मे शामिल..
मरते दम तक सांसों में,
ताह उम्र यूँ ही बस चाहेंगे…
वो मुहब्बत करना चाहते मगर अपनी शर्तों पर..
यहाँ बात न मानने वालों से रिश्ता क़बूल नहीं…
देखें हैं ज़माने में ऐसे मुहब्बत करने वाले आज..
एक को लवर दूजे को बेस्टी कह मुर्ख बनाते हैं…
धोखा है तुझमें और तेरी वफाओं में बनावट..
वरना रात आती और प्यार से हमें निहारती…
बेवजह नहीं मेरी तुझ से शिकायत भरी नाराज़गी.
तूने हर गली मोहल्ले में आशिक़ों जो पाल रखा है…
इक बार यक़ीन ए वफ़ा करके तो देख..
निभाएंगे यूँ सांसों को तेरी नज़र कर…
होंठों को छिपाने से क्या होगा
आँखें हाल ए दिल बयाँ कर रही..
हो रहा है प्यार धीरे धीरे इन्हें
शर्म ओ हया से पलकें झुक रही…
दुआओं में एक तुमको ही याद करते गई ,
ए सनम तुझ को हम बहुत प्यार करते हैं..
अपनी खूबसूरत आँखों मे दो घडी जी लेने दो.!
जानते कई राहगीर इन की छांव बैठना चाहते.!!
न कर इस नज़राने की तौहीन यूँ.!
मिलती ज़िन्दगी में मुहब्बत कभी कभी.!!
न कर मेरे दिल से शरारत यूँ..
तेरा दिल जो किसी से लगा तो दर्द ए दिल समझ जाएगी…
ये तेरी बोलती आँखों की खता है..
वरना इश्क़ के इजहार क़बूल न थे…
किसी शायर की ग़ज़ल सी खूबसूरत हो..
क्यों न तेरे इंतखाब में एक ग़ज़ल लिखूं…
अल्लाह करे वो शख्स हम न हों
जिसका तुम इंतख्वाब करे…
गैर हूँ गैर की अमानत ज़रा समझ
क्यों बेवजह इतंज़ार करे…
तुझसे बेहतर न कोई है न था और
न ही मेरी ज़िन्दगी में होगा…
फिर भी ये कैसी जलन जो तुझे
भीतर ही भीतर खाये जाती…
न कर मुहब्बत बेशक हमसे मगर यूँ ना भुला…
खुदा कसम तेरी आरज़ू हर दुआ में शामिल है…
ए हुस्न अपनी जुल्फों में कैद न कर,
बैगाने घर में घुट घुट के मर जाऊंगा…
किस किस से इश्क़ करूँ
किस मिस को मिस करूँ…
सभी एक से एक बढ़ कर
किस मिस को किस करूँ…
जाड़े की सर्दी में बुला छत पर
खुद रजाई में आराम से सोती…
नहीं मिलना तो मना करा कर
किस जन्म का यूँ बदला लेती…
मिल जाये हर किसी को गर मुक़म्मिल जहाँ
ख्वाहिशें अधूरी क्यूँ कर रहती…
हीर का राँझा होता मजनूं की बाँहों में लैला
मज़ार आने की ज़रूरत न रहती…
किताबों में क्या अब खाक पढ़ा करें,
कम्बख्त तेरा चेहरा यहाँ भी न छोडे…
ये तेरे कॉलेज की पढ़ाई
और मेरा दीवानापन,
मार डालेगी एक दिन तेरी
किताबों से दिल लगाई…
यूँ सज्ज धज्ज के मेरे
अरमानों को और न सुलगा…
कभी सोचना न मिली
गर मुझ को मेरा क्या होगा…
न उड़ इस तरह बादळ बन,
टकरा गई किसी पथ्थर से तो,
बारिश बन पिगल जाएगी…
ज़रा ज़रा झुक जाता जब
पलकें झुकाती हो…
कलियाँ सब खिल जाती
यूँ मुस्कुराती हो…
ए हुस्न तेरी अदाओं में सज़दे मेरी जान.
तू ही मेरा रब्ब अब और तूही मेरा ईमान..
ये अदाएं ये शोख़ियाँ बलखाना यूँ इतराना…
क़यामत आने तक यूँही हुस्न बरक़रार रहे…
ना जाने कब कोई बिछड़ जायेगा
मेरे मौल्ला कुछ तो रेहम कर…
इन बस्तियों में घना अंधेरा छा जायेगा
अपने बन्दों को माफ़ कर…
थोड़ी बड़ी है तो क्या हुआ शादी की उम्र इसकी
इक चांस तो बनता है…
घोड़े पर बैठ कर ही तो जाना फिर कार में लाना
मौका कौन छोड़ता है…
प्यार मुहब्बत इश्क़ अल्फ़ाज़ न रह जाते…
गर बाँहों में सिमट दिल से हमारे हो जाते…
अपनी मस्त मस्त आँखों से
यूँ ना पिलाया करो…
राह भटकें और फिर से तेरे
घर पहुँच जाया करें…
किस बात का गम किस बात का रंज
क्युँ हैं खफा,
क्या करीब ला तेरा नाक खीँच लूँ..
बहुत देखे तेरे हुस्न के जलवे,
अब सहने की हिम्मत नहीं है…
सकूँ ए ज़िन्दगी की तलाश जो घर से निकले,
देखा हम से ज्यादा सकूँ में कोई और न मिला…
क्यूँ मुझको लाइम चूस सी दिखती
चखुँ तो नीबू जैसी लगती है…
दांत खाने के और दीखाने के और
अरमाँ की ऐसी तैसी करती है…
मेरी ज़िन्दगी में आते तो क्या बात होती…
जीने की फिर कोई वजह मिल गई होती..
फुरसत हो तो आ जाना
मइयत पर मेरी…
आखिर दम तक तेरा
इंतज़ार करूंगा मैं…
रंगी बदलती दुनीयाँ में”सागर”
बेवफा बेवफओं की कमी नहीं…
एक से मुहब्बत मुक़म्मिल न
तो पल भर में दूजी तलाश जारी…
बेताज ख्वाहिशों की
दास्ताँ है ज़िन्दगी…
इक मुक़म्मिल दूजी की
तलब हो जाती..
जिन्हें यक़ीन नहीं ईश्वर पर
खौफ न अल्लाह का…
वो चले हैं पाक मुहब्बत का
इजहार ए इश्क़ करने…
ज़रा ज़रा झुक जाता जब
पलकें झुकाती हो…
कलियाँ सब खिल जाती
यूँ मुस्कुराती हो…
दम भरते थे इश्क़ मुहब्बत का
इक पल भी ख्याल ना रखा…
आ जाएंगे कल नए बहाने ले
क्या खूब वफ़ा का मान रखा…
ना करो हमसे इतनी मुहब्बत के
शहर में मशहूर हो जाओ…
सदियों बाद इश्क़ ए मुहब्बत का
चर्चा बन क़बूल हो जाओ…
उड़ना तो बहुत पहले सीख लिया होता ज़माने ने पर काट दिए,
गर इरादे बुलंद हों रोक सकेेन दुनीयाँ आसमाँ भी अपना होगा…
री बावली छोरियो गुड मॉर्निंग न बोलियों
कद्दी होंठों की लिपिस्टिक उतर जाये…
छोरे से भी कतई उम्मीद न रखियो फिर
अपना भी ऐटिटूड चाय अकेले पी लेनी…
यूँ सज्ज संवर छत पर जो आई
सारा मोहल्ला कह उठा…
ईद मुबारक हो ईद मुबारक हो
लो चाँद निकल आया…
खा खा के मोटी हो पैर
पहले ही भारी कर बैठी…
शक करते हैं यार हम पर
ये क्य सितम कर बैठी…
सांसें रुक न जाएं कही
धड़कन थम न जाये
उससे पहले आ के मिल
आस टूट जाये न कभी….
लम्हें
देखा चाँद को पहली बार ज़मीं पर नज़र न लगे l
चंडीगढ़ की आब-ओ-हवा में और निखर आया है ll
छुप छुप कर न देखा करो के
शक में पड़ जाएँ l
इस क़द्दर भी न चाहो न मिले तो
मर ही न पाएं ll
ज़िन्दगी के ये कारवां यूँही चलते रहेंगे,
लोग आएंगे जाएंगे मस्ले होते रहेंगे l
तुझको चुननी जो राह चुन ले वो “रवि”,
ये दौर ज़िन्दगी के यूँही गुज़रते रहेंगे ll
हया का ऐसा सरूर था
इक़रार था मगर ज़माने का खौफ भी l
यारो इश्क़ छुपाये न छिपे
सामने आते ही झुकी नज़रें बयाँ कर गई ll
तेरी चूडियाँ और माथे की बिंदिया
मेरे दिल का चैन चुराती हैं l
फिर कहती तुम न इश्क़ करो भला
सामने क्यूँ सजधज आती है ll
तेरी सांसों से ये महकती हवाएं
मेरी सांसें भी महका जाती l
अहसास दिलाती करीब है मेरे
दिल का क़रार और बढ़ाती ll
झूठी थी वो और झूठी उन की मुहब्बत l
ज़रा सी आँख हटी गैर बाँहों में समा बैठे ll
हया का ऐसा सरूर था
इक़रार था मगर ज़माने का खौफ भी l
यारो इश्क़ छुपाये न छिपे
सामने आते ही झुकी नज़रें बयाँ कर गई ll
खवाबों से लबरेज़ हैं शराबी आँखें,
जान से प्यारी हमें तुम्हारी आंखें…
जिसके लिए जीते थे वही साथ छोड़ रही l
लगता जैसे सांसें जिस्म से साथ छोड़ रही ll
Wada hai tujhse,
Zindagi tujh sang hi guzrni l
Na mili to kasm,
Ab duniya hi fir chhod drni ll
आशा की किरणों सांग नई सुबह आई है.!
सतरंगी सपनें पूरे होंगे उम्मीद ले आई है…!!
ज़िन्दगी तो इससे बेहतर भी हो सकती थी मगर !
उन्हें तो याद है बस लड़ना इससे फुर्सत ही कहाँ !!
एक ज़माना था उनसे रूबरू हुआ करते थे,
जिन्हें मुहब्बत में वफ़ा रखने की चाहत थी…
ये है मुहब्बत आजकल
जब चाहो किसी से प्यार करो जब चाहो दूजे से l
ऐसो को क्या करें यारों
चलो सबक सिखाते उनके कॉलेज जा मशहूर करते ll
न कर मतलबीपन की बातें
ये साथ सात जन्मों का
अब न छूटेगा दुनियां के रहते
ये रिश्ता है मुहब्बत का
तेरी गली को भूलना गंवारा न था
तेरे बिन जीना कभी भाया तो न था l
तू करती रही शिक़वा कदम कदम
तेरे ख्यालों में भी तो कोई और न है ll
मुझे शौक़ नही है बेवफाई का
जैसे भी हो निभाता मैंने l
तू इलज़ाम लगाती रही फिर भी
दिल खोल सताया तूने ll
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
ना करो मालिक से शिक़वा शिकायत…
जैसे भी हो औरों से बहुत खूब हो यारा.!!!
ज़िन्दगी एक सफर है हम हैं राही…
जाने किस गली शाम हो जानी है !!
आइना जब तब देखूं
तेरी तस्वीर नज़र आये…
बेवफा मैं हूँ या फिर तू
आइना देख के तो बता.!!
रुखसत तो होना ही एक दिन सनम…
क्यों न तेरी गली गुज़रे आखिर कारवां.!
वाक़िफ़ हूँ हुस्न ए शबाब से…
मगर डर लगता है तेरे बाप से.!
लगता है तुझे मर्ज़ ए इश्क़ हो गया बच्चा…
मेहबूब गली जा करा इलाज़ अपना सच्चा.!!
माँ बाप क़दमों तले ज़न्नत…
मांग वहां पर जाकर मन्नत.!!
जिसने न पाया माँ बाप का यक़ीन…
उसने न पाया दुनियां का भी यक़ीन.!!
ज़िन्दगी दो चार लफ़्ज़ों की दास्ताँ नहीं
पढ़ो और बुला दो…
ज़िन्दगी वो अफसाना जिसे सदियों तक
भुला न जा सके.!!
ज़िन्दगी और भी बेहतर हो सकती थी…
हर गर्दिश ए हवाओं ने साथ दिया होता.!!
वाक़िफ़ हैं हम भी गर्दिश ए हालात से…
फिर भी माँगा तुझे खुदा से फरियाद में.!!
जो रुस्वा करते हैं.मुहब्बत को वो आशिक़ी न करते…
मुहब्बत तो इबादत रब्ब की जो करते फन्हा हो जाते.!!
दिल की लगी में जो मुहब्बत दागदार करे…
वो आशिक़ नहीं आशिक़ी बदनाम है करे.!!
कौन कहता है के तुम जहाँ में तनहा हो…
गौर से देखो ज़मीं आसमाँ सब साथ हैं.!!
ज़िन्दगी के चार दिन यारा
हंस कर या तो कर जी ले…
मगर न खामोश गुज़ार इसे
जैसे हो ज़िन्दगी गुज़ार ले.!!
इतना रुक रुक धीरे धीरे जो बढ़ोगे…
प्यार तुम क्या ख़ाक किसी से करोगे.!!
न सहारे की परपरवाह खौफ जुदाई का…
निकल उस डगर जो मंज़िल खुद निकाले.!!
कर खुद पर और अपनी तक़दीर पर…
खुदा मायूस न करता अपने करीब को.!!
तुझसे गुफ्तगू की चाहत फिर तेरे करीब लाई !
बहुत चाहा भुलाना नगर चाहकर भुला न पाए.!!
बेवफा..!
इतनी बेवफा न होना हम मजबूर हो जाएं /
कानपूर की गलियों मुहब्बत रुस्वा हो जाए //
गैर मर्दों से हंस हंस बात करती हो,
क्या सच में हम से प्यार करती हो /
शिकायत है तुम्हारी खुदा से हमारी,
क्या तुम भी बिन हमारे तड़पती हो //
दुआओं में शुमार हो ज़िन्दगी हो तुम /
ये और बात पहचस्न सकी न हो तुम //
फूलों सी नाज़ुक है वो
कलियों सी खूबसूरत /
बिहार में पैदा हुईं है वो
संगमरर सी वो मूरत //
तेरी बेवफाई को देख
ज़रा भी हैरत नहीं हुईं.!
तू भी तो इसी दुनियां
का नायब हीरा है.!!
कुछ तो रही होंगी मजबूरियां,
कौन बेवफा होना है चाहता
कुछ सीने अपने भी देख ज़रा,
खता पे ख्याल कम ही जाता.!!
चिराग उल्फत के जलाये रखना,
वादा है शाम तेरी गली ही होगी.!!
हज़ारों में किसी एक को बनाया खुदा बे हमारे लिए,
और दुनियां कहती छोड़ दें बताये तो किस के लिए.!!
खुदा हुस्न देता तो नज़ाकत दे ही देता
इश्क़ को तड़पाने की आदत दे ही देता
मुहब्बत तो सच्ची मगर तेरी नज़र में धोखा
एक दिन जान जाएगी तेरे दर समझ जाएगी
अपनी जुल्फों के साये में आखिर शाम बसर कर लेने दो
ना जाने कब बिछड़ जाएँ और ख्वाब अधूरे रह जाएँ फिर
Zindagi teri duniya se dil bhar gya
Bas mehman hain kuch din yahan
Khuda kre tere kreeb aane se pahale
Maut raah badle or mujhe sath le jaye
कौन कहता दूर हैं तुझ से
दिल में झांक करीब है तेरे
ये है मुहब्बत आजकल
जब चाहो किसी से प्यार करो जब चाहो दूजे से l
ऐसो को क्या करें यारों
चलो सबक सिखाते उनके कॉलेज जा मशहूर करते ll
न कर मतलबीपन की बातें
ये साथ सात जन्मों का
अब न छूटेगा दुनियां के रहते
ये रिश्ता है मुहब्बत का
तेरी गली को भूलना गंवारा न था
तेरे बिन जीना कभी भाया तो न था l
तू करती रही शिक़वा कदम कदम
तेरे ख्यालों में भी तो कोई और न है ll
मुझे शौक़ नही है बेवफाई का
जैसे भी हो निभाता मैंने l
तू इलज़ाम लगाती रही फिर भी
दिल खोल सताया तूने ll
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
“लम्हें”
बैठ दरवाज़े किस का इंतज़ार करते हो,
ख्यालों मे खोये हुए बेकरार से लगते हो…
आधा निकला है चाँद क़यामत बन..
खुल कर सामने आ गया क्या होगा…
जहाँ शक है वहां प्यार कहाँ,
बिन एतबार जां निसार कहाँ..
अब तो किताबों में रखे फूल भी सूखने लगे..
जिनमें तेरी सूरत देख सीने से लगा रखा था…
क्या खूब हैं तेरे चेहरे पर ये दो आंखें,
नींद उड़ाती चैन चुराती तेरी ये आंखें…
बस इतना ही बता दो न,
मुस्कुराने की वजह क्या…
ए दिल तू किसी और जहाँ को चल,
यहाँ वफ़ा के बदले बेवफाई मिलती…
शौख ए नज़र के तीर यूँ चलाइये न,
कमजोर है दिल कम्बख्त आ जाये न…
अब जो हूऐ मुहब्बत तो कई बार सोचना होगा,
वक़्तिया तो नहीं पहले जांचना परखना होगा…
यूँ न रोज़ रोज़ हमारी गली गुज़रा करो,
कहीं दिल पर ले बैठे क्या होगा हमारा…
तस्वीर जबसे अपनी दिखाई.!
आँखों रास्ते दिल में समाई है..!!
आँखों की नींद ले बैठी है तूँ.!
जब से यूँ ज़िन्दगी में आई है..!!
दिलदारियां..!
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
मुझे शौक़ नही है बेवफाई का
जैसे भी हो निभाता मैंने l
तू इलज़ाम लगाती रही फिर भी
दिल खोल सताया तूने ll
तेरी गली को भूलना गंवारा न था
तेरे बिन जीना कभी भाया तो न था l
तू करती रही शिक़वा कदम कदम
तेरे ख्यालों में भी तो कोई और न है ll
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