आप जीवन में एक बार जिस रस्ते चल धोखा खा चुके हैं,
फिर भी आप रास्ता नहीं बदलते तो गुनहगार आप स्वम हैं...
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गुनहगार
गुरु और छात्र परम्परा को समझना होगा…
देश की शिक्षा सुधारने हेतु मात्र बड़े-बड़े नियम बना देने से ही कुछ नहीं होगा…
हमें भी स्वच्छ मानसिकता का परिचय देना होगा…
गुरु और छात्र परम्परा को समझना होगा…
सारा दोष किसी एक पर मढ़ने से कोई फ़ायदा नहीं…
पहले की भाँती शिक्षकों को कुछ अधिकार देने ही होंगे…
ज़रा-ज़रा-सी बातों पर स्कूल/शिक्षक पर ही सारा दोष मढ़ देना इंसानियत तो नहीं…
राज-ए-गम-ए-ज़िन्दगी…
इक कहानी कभी तुमनें सुनाई थी,
सच है या झूठ तुम्हीं जानते.!आओ इक सच से वाकिफ कराएं,
शायद इसे तुम झूठ मानते.!!
जब-तब ज़रूरत पड़े अपनों की,
“सागर“वो बेगाने हो जाते.!
क्या इसी का नाम है इंसानियत,
लोग क्योंअफ़सानें हो जाते.!!उड़ते पखेरू करीब आ शम्मां के,
जल कर दीवाने कहला जाते.!
मुहब्बत भी अजीब है यहाँ यारो,
जान के भी नज़राने दिए जाते.!!वफ़ा करना असां बाद मुश्किल,
उल्फत में हरजाने लिए जाते.!
जो इश्क़ ही खातिर जियें या मरें,
वही ज़माने में याद किये जाते.!!
दुःख-दर्द तो बस आप की ज़िन्दगी में ही हैं.!
बाकी तो यहाँ इक फरिश्ता बन पैदा हुए हैं.!!
तक़रार-इक़रार-प्यार-इजहार सब जीते-जी ही नसीबों में होता है यारा.!
अपनी दुआओं में शामिल रखना ज़िन्दगी रही तो मुलाकात ज़रूर होगी.!!
Mistakenly….
My love is mine,
I can’t shared it.
I love you by mistakenly…
ज़रूरी नहीं लम्बी-लम्बी बातें कर ही अपनी बात/विचार रख जाएँ,
कम लफ़्ज़ों में भी बहुत ब्यान किया जा सकता…
समझने वाले होने चाहिए…
अर्ज़ है:-
कभी किसी से बैर रख क्या करना”सागर“.!
ज़िन्दगी कुछ लम्हों की फिर जाना”सागर“.!!
बहुत प्यार किया है ज़िन्दगी तुझसे…!!
ईश्वर ना करे परन्तु यदि कभी आप अस्पताल के बिस्तर पर
किसी कारणवश हों और रोज़ अपने आस-पास इंसानों को
मुर्दा बनते देखें तो आप को लगेगा
“आप का दिन भी नजदीक ही है“
बेशक ज़िन्दगी बेहतरीन है परन्तु मौत शाश्वत सच…
ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है ज़िन्दगी को और मोहलत के लिए…
बहुत प्यार किया है ज़िन्दगी तुझसे मगर,
है खबर एक दिन बेवफाई यक़ीनन करेगी.!माना तुझसे हसीं मेहबूबा और नहीं कोई,
पर एक दिन तेरी भी जवानी ढलनी जरूर.!!
ऐसी उम्मीद ना थी…
अपनों की पहचान दुःख में होती है…
सुख के समय तो सब साथ चल पड़ते हैं…
वैसे तो किसी के साथ चलने या ना चलने से
कोई फर्क नहीं पड़ता…
जो होना है होकर ही रहेगा…
परन्तु अपने-पराये की पहचान जरूर हो जाती है…
कोई इतने दिनों से कहाँ है किस हाल है आपकी बला से…
आपके पास गैरों के लिए वक़्त है…
अपनों के वास्ते नहीं…
अच्छी बात है…?
क्यूंकि अपनों के आगे आप कैसे भी रहे वो अच्छा ही कहेंगे…
और गैर आपकी सारे ज़माने में…
खैर…
बड़ा गुमां था हमें उन पर और अपनी मुहब्बत पर.!
ठोकर लगी जाना सब मतलब के यार यहाँ”सागर“.!!
No Regret…
तुम अपना दिल संभाल कर रखना,
फिर किसी काम आएगा.!
“सागर” कभी ना था तुम्हारा अपना,
गैर समझ तुम भुला देना.!!
One can die…
But Poet’s feelings can’t die…
दुनियां क्या है और लोग कितने आपके करीब…?
तब जानना बड़ा आसान होता जब आप मुश्किल हालात में हों…
बीमार हों और ज़िन्दगी-मौत से लड़ रहे हों…
कुछ ऐसे ही हालात में रहते दिल के ख्याल लफ़्ज़ों में उतारे हैं…
ग़ज़ल अर्ज़ है:-
काश कोई होता समझता “सागर” को.!
मुहब्बत से लबरेज़ करता “सागर” को.!!
तह उम्र भटके इक किनारा पाने को.!
कोई होता कहता अपना “सागर“को.!!
दिल उठा दुनियां से दिल है जाने को.!
क्यों रुकें “सागर” क्या बचा पाने को.!!
कौन अपना कौन पराया देख लिया.!
कौन-सा इम्तहान देना है “सागर” को.!!
उनकी ख़ुशी उन्हें मुबारक आपको भी.!
बस रन्ज-औ-गम साथ जाना “सागर” को.!!
ज़िन्दगी रही तो मुलाक़ात ज़रूर होगी…
गुज़रे हुवे लम्हों पर बात ज़रूर होगी…
कभी तो रुकना है'”सागर”…
कभी तो रुकना है,
जीवन से थकना है,
नयी राहों और,
चलना बस चलना है…
मौत शाश्वत है,
हर हाल आनी है,
फिर काहे चिंता,
अभी तो जवानी है…
ख्वाहिशों की चाहत में,
हर खवाहिश अधूरी,
जो खवाब पूरा न हो,
ख्वाहिश क्यों करनी है…
इंसान भी अजीब है,
दिन-रात चिंता करता,
जानता न साथ जाएगा,
फिर भी इच्छा जतानी है…
ज़िन्दगी जीने का मज़ा,
अमन-चैन-मुहब्बत है,
कुछ रह गया'”सागर“,
छोड़ ज़िन्दगी आनी-जानी है..
I’m…
I’m the best,
Unique.
No one is standing,
In front on me…
But I’m so Soft
Like a fruitful tree,
Bending on the ground…
That’s my Ideology,
Culture of life.
My style…
बेवफा दुनियां.!!
अर्ज है:-
बेवफा दुनियां में”सागर“,
पाक वफ़ा को जगह नहीं.!झूठ दुनियां झूठे हैं वादे,
सच्चों की यहाँ क़द्दर नहीं.!!
नए साल का शुभारंभ…
ज़िन्दगी आगे बढ़ने का नाम है…
कुछ फरेबी जो अपने बन-बन मिले थे उन्हें भूलना होगा…
नए साल केआगमन से पहले बीती बातों को भुलाना होगा.!
“सागर“कुछ इसी तरह नए साल का शुभारंभ करना होगा.!!
प्यार किया नहीं जाता हो जाता है—-“सागर”
वो तेरा पीला सूट काशनी का दुप्पटा,
धड़का रहे”सागर“दिल को बहुत.!
इक बार इक़रार कर तो सही जानम,
मांग लूँ घर आ हाथ दम है बहुत.!!
क्या आप किसी का दर्द बांटना चाहते हैं…
कभी दूजों के घर भी आकर देखें,
कुछ दर्द भरे एहसास वहां भी मिलेंगे.!
“सागर” जहाँ में वही मशहूर हुआ,
जो दर्द – एहसास सब का बाँट चलेंगे.!!
तो आइये साहेबान गुफ्तगू कर लेते हैं…
कहते हैं
“प्यार किया नहीं जाता हो जाता है“
किसी हद तक सही ही लगता है…
शायद एक वकील,डॉक्टर,टीचर अथवा कोई अन्य
इस बात को ना मानें…पर यही हकीकत है…,
अगर किसी को हो जाए और वो भूलना चाह रहा हो
पर सामने फिर आ जाए तो समझ सकते हैं…
जब आस छोड़ चुके जीने की,
उम्मीद बन फिर सामने आ बैठे.!
इतनी बेरुखी अच्छी नहीं होती,
आप “सागर“का दिल तोड़ बैठे.!!
सिथति तब और भी गंभीर हो जाती है जब जनाब आ पूछे
“क्या बात आजकल बातों/शेरों में बड़ा दर्द ब्यान कर रहे हैं…?“
अज़ी हज़ूर-ए-आला वो तो मर रहे हैं आपकी खातिर और आप हैंकि…
क़त्ल कर दिल का क़ातिल सवाल कर गया,
क्या बात तेरे शेर कोई दर्द ब्यान कर रहे हैं.!
यार “सागर” कुछ ना कह सका क़ातिल को,
जानते सब फिर भी क्या सवाल कर रहे हैं.!!
फिर कभी ऐसा भी लगता शायद आग दोनों तरफ बराबर पर…
इसे संकोच कहें अथवा कोई मजबूरी है…
शर्म उनको है गर आती हमें भी तो डर है,
ब्यान कर दिया जो हाल-ए-दिल तो क्या जवाब मिलेगा.!
कहीं वक़्त इसी कश्मकश में बीत जाए ना,
किसीकी उठेगी डोली”सागर“तो कहीं अर्थी हार चढ़ेगा.!!
31/10/2017 at 7:54 AM
ज़िन्दगी एक जुआ है कोई जीतता कोई हारता.!!
ज़िन्दगी एक जुआ है कोई जीतता है कोई हारता.!
पर असली खिलाडी वही जिसका ज़ज़्बा हार ना मानने वाला हो.?
,उतार-चढ़ाव तो आते ही हैं और और आने भी चाहिए…
तभी कुछ सीखने को मिलेगा…
आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी…
जो जीतता रहा एक दिन किसी काम का ना रहेगा…
ठीक वैसे ही निरंतर हारने वाला निराश हो जाएगा…
“हमनें जिंदगी को इक जुआ समझ जिया”सागर“.!
कई दाव अच्छे सटीक रहे कुछ उलटे ही पड़ गए.!!
गिरे पर उठ संभलने की पूरी जोरआज-माइश की.!
एक दिन ऐसा भी आया वक़्त सामने सब हार गए.!!“
हर इंसान ज़िन्दगी में कभी ना कभी ठोकर खता है,
हमनें भी बहुत खाई हैं…
छोटी उम्र में पिताजी को खोया फिर माता जी को…
पर उनके बताये रास्तों पर चलने की पूरी शिद्दत से कोशिश की…
“कामयाब हुए या ना कामयाब जब उनसे मिलेंगे पूछ लेंगे,
हिसाब भी तो उनको देना है“…
इश्क पर ज़ोर नहीं होता..!!
अक्सर कई को कहते सुना है
“इश्क पर ज़ोर नहीं होता“
“Love at first Site “
सही ही है…
अर्ज़ है:-
देखने आये थे अपनी बहिन खातिर,
पर नादानी कर बैठे.!
कुछ उनकी खता रही कुछ हमारी,
वो अपना दिल दे बैठे.!!
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