मेरा खुदा मेरी जान मेरा ये वतन.!!
वतन अपने से मुझ को मुहब्बत.!
मेरा खुदा मेरी जान मेरा ये वतन.!!
है जब तक जान खिदमत मैं करूँ.!
वक़्त ज़रूरत गर जान भी क़ुर्बान.!!
इस मिट्टी सी मिट्टी और मुल्क नहीं.!!
दुश्मन भी माना यहाँ दिल-ओ-जान.!!
धर्म-जाति से बैर कर न हुआ भला.!
अमन-भाईचारे से रहो यही पैगाम.!!
ज़िन्दगी चाहे बार-बार मिले “सागर“.!
यही वतन हो बस यही इक अरमान.!!
Posted on July 26, 2019, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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