धीरज
- प्रस्तुत ग़ज़ल अपने एक साथी ब्लॉगर के दिए
गए टाइटल “धीरज” पर लिखी है…
ग़ज़ल कैसी लगी अपने विचार दीजियेगा…
आपका कोई”Topic“लिखने की नई प्रेरणा देता है…
आप भी”Topic“दे सकते हैं…
कष्ट जीवन में बेशक कितने भी क्यों न आएं.!
मंजिल वही पाते जो धीरज से सफर हैं करते.!!फूलों को पाना है तो काँटों से गुज़रना होगा.!
सड़क पर आशिक यूँ तो बेशुमार हैं मिलते.!!जवां दिल के जवां अरमाँ को न जगा यारा.!
दो अलग दिशा के तार आपस में न जुड़ते.!!मर्जी की कर ज़िन्दगी बार-बार नहीं मिलती.!
अपना बनाने को वादा कर बाद वादा तोड़ते.!!ज़रा भी धीरज न रख सके और जा सो गए.!
रात जाग”सागर“उन के ख्यालों को लिखते.!!
Posted on June 20, 2018, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. 4 Comments.
Fabulously written 👍👍
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Thank u so much.I’m glad u likef it Medha ji
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Welcome
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My pleasure
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