दो पल की ख़ुशी खातिर…!!
दो पल की ख़ुशी खातिर,
उसे ज़िंदा लाश ना बनाओ.!
उसकी मुहब्बत समझो,
उसको फ़रियाद न बनाओ.!!
किसी की वो बेटी-बहन,
कुछ उसके भी अरमान हैं.!
फंसा प्यार जाल में,
हवस निवाला ना बनाओ.!!
सपनों की दुनियां दिखा,
सेज पर उसको ना सजाओ.!
वफ़ा निभा सकते नहीं,
मुहब्बत को खेल ना बनाओ.!!
उसकी नादानी बख्शें,
उसे यूँ गुनहगार ना बनाओ..!
कौन क़ातिल नहीं यहाँ,
जहाँ में एक बेगुनाह बताओ.!!
सर के पल्लू की लाज,
जो इज़्ज़त से जीना चाहती है.!
उतार शर्म उस की,
उसे अब बेहया ना बनाओ.!!
न भूलें नारी से दुनियां,
दुनिआं का मान यूँ न घटाओ.!
सम्मान करें इज़्ज़त दें,
कोठे की रौनक ना बनाओ.!!.
Published on: 3 Jan 2018
Wednesday at 2:45 PM
Posted on January 3, 2018, in Nagama-e-Dil Shayari, Thought of the Day. Bookmark the permalink. 5 Comments.
Very nice
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Thanks.
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बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा हैं
really very nice .
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आभार…
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nearly in tears.. 😦
beautiful thoughts. wish everyone understands
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