Happy Labor Day…


कितनी बड़ी विडंबना है जो मजदूर हमें अच्छे-से-अच्छा जीवन यापन करने की सुख-सुविधाएं देता है,
हम मात्र एक दिन किताबों-दफ्तरों में या सड़कों पर एक रैली निकाल अपना फर्ज पूरा समझते हैं?
अर्ज़ किया है:-

labours.jpg

औरों का बनाता हूँ,
किन्तु खुद ही बेघर रह जाता हूँ.!
सर्दी-गर्मी-बरसात,
हर मौसम आसमाँ तले बीतता हूँ.!!
मैं मजदूर हूँ यारो,
बस एक दिन याद किया जाता हूँ…
इक आवाज़ देने पर,
जहाँ-जैसे रहूं दौड़ा चला आता हूँ.!
चंद रूपए ले कर,
नामुंमकिन को मुमकिन करता हूँ.!!
मैं मजदूर हूँ यारो,
बस एक दिन याद किया जाता हूँ…
ना रुकता ना थकता,
इंसानों में जैसे एक मशीन जैसा हूँ.!
गौर से देखो यारो,
मैं भी ज़िंदा इंसान आप जैसा हूँ.!!
मैं मजदूर हूँ यारो,
बस एक दिन याद किया जाता हूँ…
सदियों का फ़साना,
ठोकर खा फिर ठोकर खता हूँ.!
मुफ्लीज हूँ”सागर“,
तभी चंद-सिक्कों से तौला जाता हूँ.!!
मैं मजदूर हूँ यारो,
बस एक दिन याद किया जाता हूँ…

About Dilkash Shayari

All Copyrights Are Reserved.(Under Copyright Act) Please Do Not Copy Without My Permission.

Posted on May 1, 2017, in Nagama-e-Dil Shayari, Shayari Occasion Zone. Bookmark the permalink. 5 Comments.

  1. बहुत ही अच्छा लिखा है।

    Liked by 1 person

  2. बहुत बढ़िया

    Liked by 1 person

  3. धन्यवाद रजनी जी

    Like

  4. धन्यवाद जी

    Liked by 2 people

  5. सटीक लिखा है

    Like

Comments / आपके विचार ही हमारे लिखने का पैमाना हैं.....ज़रूर दीजिये...