कई बार देखा गया है कि अगर आप किसी को ज़रूरत से ज़्यादा मान-सम्मान देंगे तो वो बतमीज़ी पर उतर आता है? क्यूँकि सभी लोग जल्दी से अपने प्रति किए गये सम्मान को पचा नहीं पाते या यूँ कहें कि सम्मान का हक़दार वही जो इस क़ाबिल हो ?
भाई हमनें तो आजमा लिया यक़ीन ना हो तो आप भी आजमा लें ?
सत्य है
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शुक्रिया
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स्वागत है
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अभिराम
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