शराब…

शराब होती अगर तो पी लेता
तेरे ख्यालों में खोकर जी लेता…
किसी भी राह से जो मैं गुज़रूँ
निकलती वो बस तेरे घर को
कोई ख्वाब होता गुज़र जाता
तुझे भुला मैं भी फिर जी लेता…
गुज़रते वक़्त ने दिए कई ज़ख्म
सभी हैं अपने नहीं कोई अपना
बसर थी ज़िन्दगी जो साथ होते
सकूँ से फिर कुछ पल जी लेता…
Posted on July 17, 2022, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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