Nazam
गर तू चाँद है
मैं तेरी चांदनी
तुझे छूना गर मुश्किल
मुझे पाना नामुमकिन…
यूँ इतराया न कर
खुद पे मुस्कुराया न कर
किस्मत से साथ तेरे
यूँ नाज़ दिखाया न कर…
किस का झगड़ा यारा
मेरे बिन गुज़ारा न हो तेरा
मुझे देख के तू जीती
तेरे नाम से नाम हो मेरा…
Posted on January 30, 2022, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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