Lamhein
माना के मुहब्बत नहींं तुझसे
ना शौक़ फरमाते इश्क़ का…
मगर न जाने क्या बात तुझमें
ना देखूं तो क़रार नहीं आता…
मौसम भी है मौका भी
ए चाँद ज़रा छत पर आजा…
बेइंतहा धड़कता दिल
अपना दीदार ज़रा करा जा…
इक बात मिली है फिर न मिलेगी
कर हर ख्वाहिश पूरी…
ज़िन्दगी चार दिन की है “सागर’
हर जिम्मेदारी कर पूरी…
पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…पगलू पगलू कह सच में पागल बना दिया,
पहले इश्क़ में अब दूर कर राह पर ला दिया…
ज़ुबाँ से बेशक कुछ कहो न
मगर नज़र तो बयाँ कर देगी…
पल्क़ उठेगी फिर खुलेगी तो
हाल ए दिल बयाँ कर देगी…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
बिना इज़ाज़त ये गुस्ताखी कर लेते हैं
जब से देखा इन आँखों से रोज़ पी लेते हैं…
अब तो तुम ही रब्ब तुम ही इबादत हो
दुआ में अपनी ज़िन्दगी बदले मांग लेते हैं…
तेरी सखियों ने मुझे पागल ही बताया है
हर रात उनको भी सपनों में जो जगाया है…
करवटें बदलती रहती मुझे याद कर कर
क्यों करीब ही रक़ीबों का शहर बसाया है…
Posted on January 30, 2022, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
Leave a comment
Comments 0