Gazal
क्या खूब है तेरे हुस्न की अदाएगी
बंदा तो बंदा रब्ब भी मचल जाये..
ये होंठ ये काली जुल्फें घटाओं सी
बरसे जो पानी में आग लगा जाएं…
मेरे तस्सव्वुर की इक तूही मलिका
आये ख्यालों में यूँ बैचैन कर जाए…
दुआओं में जब जब हाथ उठते मेरे
तेरा नाम ज़ुबाँ पे रह रह आ जाये…
जानता हूँ गैर है और की अमानत
क्या करूँ देख दिल बहक जाये…
बहुत यक़ीन उस पे खुद से ज्यादा
वो हो मेरी या अब जां चली जाये…
Posted on January 30, 2022, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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