ग़ज़ल

क्या खूब हैं तेरी ये मतवाली आँखें,!
नशीली आँखें ये कजरारी आँखें…!!
मय का प्याला हैं तुम्हारी ये आंखें,!
कहीं देखीं न ऐसी निराली आंखें…!!
सुबह होती जो देखें तुम्हारी आँखें,!
शाम ढले गर नज़र न आएं आँखें…!!
खवाबों से लबरेज़ हैं शराबी आँखें,!
जान से प्यारी हमें तुम्हारी आंखें…!!
Posted on January 19, 2022, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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