बेवफा..!
इतनी बेवफा न होना हम मजबूर हो जाएं /
कानपूर की गलियों मुहब्बत रुस्वा हो जाए //
गैर मर्दों से हंस हंस बात करती हो,
क्या सच में हम से प्यार करती हो /
शिकायत है तुम्हारी खुदा से हमारी,
क्या तुम भी बिन हमारे तड़पती हो //
दुआओं में शुमार हो ज़िन्दगी हो तुम /
ये और बात पहचस्न सकी न हो तुम //
फूलों सी नाज़ुक है वो
कलियों सी खूबसूरत /
बिहार में पैदा हुईं है वो
संगमरर सी वो मूरत //
तेरी बेवफाई को देख
ज़रा भी हैरत नहीं हुईं.!
तू भी तो इसी दुनियां
का नायब हीरा है.!!
कुछ तो रही होंगी मजबूरियां,
कौन बेवफा होना है चाहता
कुछ सीने अपने भी देख ज़रा,
खता पे ख्याल कम ही जाता.!!
चिराग उल्फत के जलाये रखना,
वादा है शाम तेरी गली ही होगी.!!
हज़ारों में किसी एक को बनाया खुदा बे हमारे लिए,
और दुनियां कहती छोड़ दें बताये तो किस के लिए.!!
खुदा हुस्न देता तो नज़ाकत दे ही देता
इश्क़ को तड़पाने की आदत दे ही देता
मुहब्बत तो सच्ची मगर तेरी नज़र में धोखा
एक दिन जान जाएगी तेरे दर समझ जाएगी
अपनी जुल्फों के साये में आखिर शाम बसर कर लेने दो
ना जाने कब बिछड़ जाएँ और ख्वाब अधूरे रह जाएँ फिर
Zindagi teri duniya se dil bhar gya
Bas mehman hain kuch din yahan
Khuda kre tere kreeb aane se pahale
Maut raah badle or mujhe sath le jaye
कौन कहता दूर हैं तुझ से
दिल में झांक करीब है तेरे
ये है मुहब्बत आजकल
जब चाहो किसी से प्यार करो जब चाहो दूजे से l
ऐसो को क्या करें यारों
चलो सबक सिखाते उनके कॉलेज जा मशहूर करते ll
न कर मतलबीपन की बातें
ये साथ सात जन्मों का
अब न छूटेगा दुनियां के रहते
ये रिश्ता है मुहब्बत का
तेरी गली को भूलना गंवारा न था
तेरे बिन जीना कभी भाया तो न था l
तू करती रही शिक़वा कदम कदम
तेरे ख्यालों में भी तो कोई और न है ll
मुझे शौक़ नही है बेवफाई का
जैसे भी हो निभाता मैंने l
तू इलज़ाम लगाती रही फिर भी
दिल खोल सताया तूने ll
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
Posted on January 17, 2022, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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