‘लम्हें’
काश तूने कभी करीब आने की ज़िद्द की होती.!
खुदा कसम मुहब्बत की तस्वीर कुछ और होती.!!
अब तुझे भी मेरे बिन तड़पना ही होगा.!
सफर ज़िन्दगी का यूँही तय करना होगा.!!
ज़िन्दगी के सफर में अकेला ही रहा.!
वो मिले तो सही मगर बेवफा होकर.!!
इक अज़ीम शाम की अज़ीम दास्ताँ हो.!
खुदा ने तराशा जिसे फुरसत के लम्हों में.!!
जिसे चाहा था दिल ए जान समझ.!
वही मेरी मौत का सामान निकला.!!
न कर मुझ पर और मेरी मुहब्बत का यक़ीन.!
मगर मैंने तुझे अपने होंठों की मुस्कुराहट समझ.!!
ज़िन्दगी प्यार का नगमा है.!
जिसे गा कर गुज़र जाना है.!!
दर्द दिल का इस क़द्दर बढ़ गया.!
दुनियां में दवा कहीं नहीं इसकी.!!
Tujh se achhi to duniya hai.!
Km se km bewafa to nhin.!!
Unki baton se itna hurt hua.!
Duniya chhodne ka dil krta.!!
Mental pta nhin kiske liye sambhal rkha khud ko.!
Na kuch dikhlati hai tadpati hai bchati khud ko.!!
क्या खूब है उनकी अदाओं का आलम यारो.!
सही है भाई खुदा जब हुस्न देता अदा भी देता.!!
बेपर्दा हो शहर में यूँ ना घूमा कीजिये.!
जाने कब बहशी से मुलाक़ात हो जाये.!!
न बोल इतना झूठ के याद न रहे कब कब क्या बोला.!
याद रखने को किताब रखनी पड़े खुद को भूल जाये.!!
एक पत्थर से पूछा मुहब्बत क्या है.!
बोला सर टकराओ तो जानो क्या है.!!
उनकी मुहब्बत एक धोखा थी.!
आँखों में बेवफाई बातों में साज़िश थी.!!
पाक निगाहों को तरसती अब तो मुहब्बत.!
आज बेवफा भी सनम होने का दावा करते.!!
उस की मुहब्बत भी फरेबी है उस की तरह.!
क्या समझती पागल हो जायेंगे उसके बिना.!!
Kon kehta hai Muhabbt aaj zinda hai.!
Sb kitabi batein Wafa aj bewafa ho gyi.!!
Pahale baat kuch or thi maga Ab kuch aur hai.!
Kai dino Intzaar bad miln ki raat aaye pr Adhuri.!!
मांग में सजती थी झूठी मुह्ज़ब्बत.!
सच्ची होती तो हर दिन याद रखती.!!
Jhuth pr jhuth or kitne jhuth wo bolegi.!
Ab tk Kaid thi Clg khul the kitni se khelegi.!!
वो जो करते थे दावा प्यार का
दिल से निकाल बैठे हैं.!
कहाँ गई प्यारी वफ़ा की बातें
क्यों मुंह छिपाये बैठे हैं.!!
बस बहुत हुआ तेरे प्यार का झूठा इक़रार.!
वो दिन गुज़रे जब था रहता दिल बेक़रार.!!
Wo aaye msg chhoda or chale gaye.!
Bina sochey ke agla zinda bhi ya nyin.!!
जब दिल आये जवाब दे दिल आये चेहरा दिखा.!
सुनते वक़्त रुकता नहीं कहीं वक़्त गुज़र न जाए.!!
आँखें भी थक गई थी तेरी उड़िकान कर कर.!
सांसें थमने लग अब तेरी राह तकते तकते.!!
उनके चहरे देख ख़ुशी बिछड़ने के बाद.!
सोचा उनसे मिले ही क्यों थे यारो हम.!!
उन की यादों में रात कुछ ऐसे गुज़री.!
दिन में ही Good Night कहना पड़ा.!!
वादा न कर जो मुक़म्मिल न कर पाए.!
प्यार करने वाले तो जान दे भी निभाते.!!
न कर दुआओं में शामिल मुझको यूँ तूँ.!
खराब अधूरे रह जाएं तो दर्द बड़ा होता.!!
खुद तो सौ है जाती आराम से हमें जगा जाती.!
दिन भर कोसती रहती तुम्हें प्यार नहीं मुझ से.!!
ये तेरी मुहब्बत जा असर
ज़िन्दगी गुलज़ार हो गई.!
हर तरफ जलवे ही जलवे
जबसे आँखें चार हो गई.!!
न कर इस क़द्दर मुहब्बत
की फना हो जाए.!
आरज़ू मुक़ामिल न हो गर
तू तनहा हो जाए.!!
मुहब्बत दिखाने की चीज़ नहीं
महसूस की जाती.!
दिल ओ दिमाग पर छाई रहती
बगावत किये जाती.!!
तुमसे मुहब्बत है कितनी कह नहीं पाते.!
तुम हो की सितम पर सितम किये जाते.!!
Bistar par todti aaj Wafa
Pakdi jaate to Ulta ilzaam lga deti.!
Deti duhaai muhabbt ki
Beshq hr din jism ki fitrat bdl jaati.!!
Darr kr Muhabbt ki to kya Muhabbt ki.!
Dil se Wafa ki hoti to baat hi aur hoti.!!
रात को खाना छीना अब सुबह का नाश्ता भी छीन लिया.!
बस अपने मन की कर बेवफा ने मुहब्बत को रुस्वा किया.!!
न जाने ज़िन्दगी अब किस और ले जाएगी.!
पर यक़ीनन अब शाम तेरी गली न हो पायेगी.!!
मस्त मस्त है उसकी ज़िन्दगी सहपाठी यारों में.!
तभी न टाइम पाबन्दी न जलवा नई लश्कारों में.!!
उसके नां से ज़िन्दगी बसर करने की कसम खाई है.!
ये और बात उसकी निगाहों हमारी वफ़ा बेवफाई है.!!
Unki Aadt thi Wada kr na Nibhane ki.!
Yahi kmi rahi Rishton mein Daraar ki.!!
जलवा दिखाने का वादा किया था मगर
एक बार फिर से वादा निभाया न उसने.!
चाँद के दीदार में है परेशां दिल ये मगर
एक बार फिर से छकाया मन को उसने.!!
यहाँ कौन अपना है कौन पराया समझ नहीं आता.!
कभी इतने करीब हुए किसी के अब मन नहीं भाता.!!
जिस घर को बनाया था जतन से.!
घर के चिराग ने फन्हा करा ज़िद्द से.!!
इक अज़ीम शाम की अज़ीम दास्ताँ हो.!
खुदा ने तराशा जिसे फुरसत के लम्हों में.!!
कुछ नहीं कहना बस इतना ही कहना है.!
इल्ज़ाम लगाते कभी अपनी ख़ता देख लेते.!!
न कर मेरी ख्वाहिश को पूरा तू,
अरमां दिल का दिल में लिए चला जाऊंगा.!
तू कहती समझती हरजाई मुझे,
याद रख बाद में तुझे मैं बहुत याद आऊंगा !!
नफा नुकसान देखने का वक़्त किसे गर इश्क़ परवान पर.!
फुरसत मिली गर देख लेना हमने तन्हाई को कैसे जिया है.!!
तुझ से मुहब्बत कर हमें क्या मिला,
बेवफाई जिल्ल्य शर्तें और शिकायतें.!
हमारी खता थी प्यार की उम्मीद की,
चल बहुत हुआ दुनियां से अब चलते.!!
कुछ उदास हूँ कुछ नाखुश ज़िन्दगी से
सोचता हूँ तन्हा हो कर भी चाँद कितना हसीं है.!
मनचाहा हर किसी को नहीं मिलता यहाँ
जा रहा हूँ देखूंगा मैं भी मेरे बिन कितना खुश है.!!
Teri Khwahish tera Arman kiye Duniyan se jayeinge !
Pyaar Kitna hai Tujh se kuch aisa kar Dikha jayeinge.!!
जब से तुम बाहर जाने लगी
कॉलेज में नज़र आने लगी.!
भूलने सी लगी हो हमें यार
हाँ हाँ तुम बदलने हो लगी.!!
देख सामने नज़रों के हया में
दाँतों से होंठ दबा बैठे.!
पहला इस्तखबल किय ऐसा
उफ़ क्या सितम कर बैठे.!!
जो छुपते छुपाते वो प्यार नहीं करते.!
दीवानें कब कैद हुए आज़ाद ही रहते.!!
Ruk Ruk kr unka like dena ya reply.!
Kahin gair ki Bahon mein to nhin.!!
Posted on March 12, 2021, in लम्हें. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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