क़तरा क़तरा.!!
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
Posted on December 17, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 2 Comments.
न कर मेरे काफिले पर वार तू
क़तरा क़तरा कर संजोया है मैंने l
बंद कर आँखें ज़रा सोचना तू
नफरती अँधियों से तूने क्या पाया ll
Posted on December 17, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 2 Comments.
So good.
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Thanks
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