लम्हें
मार डालेगी उनकी
जी जी एक दिन,
हज़ूर को ना ना कहना
भी नहीं आता..!
कुछ दायरे तेरे हैं,
कुछ मेरे भी तो हो सकते…
कुछ भी हों बेशक,
मगर बेवफा नहीं हो सकते..!
वो और होंगे जिन्हें,
तेरे हुस्न से प्यार है…
हमें पर्दानशीनों पर ,
बस एक एतेबार है..!
दिन में तो न आये मिलने
कल रात ख्वाबों में उन का दीदार हो गया…
क्या खूब लग रहे थे वो
आँखें तरसती लब नशीले जैसे प्यार हो गया..!
प्यार उसने हमसे बहुत किया
मगर शर्तों पर…
काश समझ पाते वो समझौते
प्यार में न होते..!
काश वक़्त ठहर जाये
इन मुहब्बत के पलों का…
ताह उम्र गुज़ारे यूँ ही
मिले सहारा इन बाँहों का..!
न खेल मेरे दिल से यूँ,
मिटाने के बहाने और भी है..!
यूँ रुक रुक कर न छेड़ मेरे दिल के तराने,
कोई एक बज गया तो बड़ा पछताएगी तू..!
न जी न गल्त तुम ना थे गल्त हम ही हैं,
तुम्हारी बन्दानवाज़ी न समझ सके…
अपनी मगरूरियत में इतने मशगूल हुए,
इंसानी ज़ज़्बों को ज़रा न समझ सके…!
कुछ दायरे तेरे हैं,
कुछ मेरे भी तो हो सकते…
कुछ भी हों बेशक,
मगर बेवफा नहीं हो सकते..!
तेरे पास होंगे कई दिल,
एक उसके लिए एक इसके…
मेरा दिल तो बस,
तेरा नाम ले ही धड़कता है..!
ना कर मुहब्बत किसी से इतनी “परदेसी”
के नाज़ुक दिल पत्थर हो जाये,
काँटों की राह गुज़र फूलों तक पहुंचना न
हो तो हर काम आसां हो जाये..!
अलविदा अलविदा अलविदा अलविदा,
कल भी झूठा था आज भी झूठा संसार..!
मौत मेहबूबा है उस संग भी साथ निभाना है,
तेरी मुस्कान खातिर जीना उसी खातिर मरना..!
तेरे पास होंगे कई दिल,
एक उसके लिए एक इसके…
मेरा दिल तो बस,
तेरा नाम ले ही धड़कता है..!
न समझ नहीं हो यारा इतने भी,
इजहार-ए-मुहब्बत नैनों की न समझो. !
हुस्न कल भी बेपरवाह आज भी,
भूल पाओगे क्या या दीवाना ही समझो..!
इश्क़ में तुम भी रूबरू हुआ करो,
किसी शाम घर की छत रहा करो..!
तरसती सांसों की उम्र बढ़ जाएगी,
कभी तो रेहम हम पर किया करो..!
तेरे बिन इस जहाँ में क्या रख है,
चाह नहीं हमारी तो कुछ भी नहीं..!
गल्त है इलज़ाम गल्त सारी बातें,
पीठ पीछे वार करने की आदत नहीं..!
प्यार करते हैं तुझसे करते रहेंगे,
किसी से भी लड़ने की ज़रूरत नहीं..!
प्रणाम 🙏
उम्मीद का सागर है
उगते सूर्य का आगमन,
नई ऊर्जा का जीवन
में फिर से है समागम..!
चाँद सी नटखट हो सुन्दर भी बहुत
कभी दिखती कभी छुपती,
दिल की खूबसूरत बातें प्यारी बहुत
कभी मिट्ठी कभी दिलकश..!
तेरे शौख ए क़दमों की इनायत,
जो जीने की आरज़ू हो आई..!
वरना इस दिल ने कब से यहाँ,
जीने की हसरत छोड़ दी थी..!
मार डालेगी उनकी
जी जी एक दिन,
हज़ूर को ना ना कहना
भी नहीं आता..!
इक नई सुबह का आना सदा बेहतर होता है,
पिछली बातों को भुला नया आगाज़ होता है..!
आओ न इतने करीब की सांसें महकने लगें,
बहक जाएं इस क़द्दर की दिल मचलने लगे..!
ख्वाब देखना गुनाह नहीं,
गर इरादे नैक हों..!
ऐसे भी ज़नून रखते तो,
मंज़िल मिलती नहीं..
हर सुबह जीने का एक नया पैगाम ले आती,
बीती बातों को भुलाने का अरमान ले आती.!!
आओ न इतने करीब की सांसें महकने लगें,
बहक जाएं इस क़द्दर की दिल मचलने लगे..!
मेरे मुस्कुराने की वजह तुम हो,
डर लगता कहीं रूठ न जाओ..!
तेरी ख्वाहिश तेरी ज़ुस्तज़ु,
मेरी ज़िन्दगी की हसरत..!
अब तू ही कर फैसला मैं,
तेरे बिन जियूं कैसे..!
होते जो दिलदार तेरे,
पलकों में संजोये रहते..!
गुज़ारिश न करते यूँ,
वफ़ा गर पाक तुम करते..!
छोड़ कर तन्हा बीच रह चले जाते,
फिर कहते तुम मुहब्बत हो हमारी..!
कितना तड़पते हैं तुम बिन सोचा,
कैसी हालत हुईं तुम बिन हमारी..!
तेरी वफ़ा ही मेरी ज़िन्दगी और मंज़िल,
वरना जीने को क्या रखा है अब जहाँ में..!
बेवजह धुआं उठता नहीं,
यक़ीनन कोई दिल जला रहा होगा..!
जान कर भी अनजान क्यूँ,
अब किस बात का इंतज़ार रहा होगा..!
पलकों में सज़ा रखा,
दिल में सज़ा रखा..!
होंठों इक तेरा नाम,
बता कैसे भुला रखा..!
ख्वाब देखना गुनाह नहीं,
गर इरादे नैक हों..!
ऐसे भी ज़नून रखते तो,
मंज़िल मिलती नहीं..!
बात करने की वजह ज़रूरी नहीं,
यूँ भी तुझे मेरी कोई ज़रूरत नहीं..!
फरेब है तू और तेरी मुहब्बत साथिया,
क्या करूँ फिर भी तेरी याद सताती है..!
अब अल्लाह ही बचाये इन हुस्न वालों से
दिल में है क़रार मगर ऊपर से न न करते..!
तुमने वादा किया था उम्र भर साथ निभाने का,
ज़रा सी आहट हुई तो तुम हाथ छुड़ा चल दिए..!
जिनकी बुनियाद टिकी फरेब पर
वो क्या वादा निभाते,
यहाँ यारा शिद्दत से इंतज़ार खबर है
तुम आज भी न आते…!
मौज़ों को गरूर सागर से जुदा न हो सकती,
नादाँ समझती नहीं किनारे से वो भी टकराती..
न समझ नहीं हो यारा इतने भी,
इजहार-ए-मुहब्बत नैनों की न समझो. !
हुस्न कल भी बेपरवाह आज भी,
भूल पाओगे क्या या दीवाना ही समझो..!
तुम वो दर्द हो,
न न बिलकुल नहीं..!
सच तो ये है जी,
तुम ज़िन्दगी हो मेरी..!
यूँ न मांगों दिन रात दुआओं में,
मरना चाहें तो मर न पाएं..!
साथ जीने का तस्सव्वुर लिए रहे,
बाद दुनियां में दौराहे जाएं..!
ना गुज़रा कर मेरी गली
से मुस्कुराते हुए,
गुमां हो जायेगा तुझे भी
मुझसे प्यार है..!
नज़र रखना अपने दिल पर हमारी यादें तुम्हारे साथ हैं,
और परिंदा न बैठ सकेगा शाख पर यक़ीन बेशुमार है..!
इक शेर ऐसा लिखना की मरना आसां हो जाये,
तेरी यादों के संग रुखसत कुछ कामयाब हो जाये..!
तेरी पलकों में कब कब देखा,
तस्वीर खुदकी नज़र आई..!
पलट कर देखा जो आईना तो,
तेरी तस्वीर खुदमें दिख आई..!
कुछ अहसास
इतने खुबसुरर होते,
ज़िन्दगी गुज़र
जाती पता न चलता..!
हाथों की मेहँदी में सजालो मुझको,
शिद्दत से सांसों में बसालो मुझको..!
इससे पहले किसी और के हो जाएँ,
मखमली बाँहों में सम्भालो मुझको..!
Posted on November 23, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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