ख्वाब बन पलकों में समाया करो
नया साल है कभी तो वक़्त पर आया करो ll
कुछ भूली बिछड़ी यादों संग
लौर आया फिर दोहराने कुछ
ये शरारत नहीं तो और क्या है हज़ूर
दिल चुराया और मुझे ही खबर नहीं
न कर इतनी मुहब्बत
चाहा कर भी भुला न सकूँ
ज़िन्दगी जीने की चाहा लिए
दुनिया से चला जाऊं
वो हुस्न क्या जिसके नाक पर गुस्सा न हो,
अज़ी इश्क़ की तो आदत सब सहने की
यूँ भी सुना है हुस्न गुस्से में और निखरता,
कभी इश्क़ की बारी भी होगी मुस्कुराने की
तेरे नखरों पर खुदा का दिल भी आया है
बेशक उसने बड़ी फुर्सत से तुझे बनाया है
पशापोश में वो भी होगा ज़मीं पे भेज कर
तुझे बनाने बाद वो मंद मंद मुस्कुराया होगा
इस राह होना है या उस राह चलना फैसला कर लीजिये
जीवन जो राहें हैं संघर्ष भरी थोड़ा सा कष्ट कर लीजिये.
जो मज़ा इंतज़ार में
वो मिलन में कहाँ
मिलने बाद तो इंतज़ार
और बड जाता
छूटी स्कूल की बातें कॉलेज का ज़माना आया
वक़्त ही बताएगा यारो वो अच्छा था या ये अच्छा
बीती यादों में ये साल भी गुज़र गया
आओ नए साल इंतज़ार और कर लेते
उफ़ वो कम्बख्त हसीं
चेहरा भूलता ही नहीं
माना मतलब की है दुनियां मगर सारा जहाँ नहीं
एक दिन कोई आ सारी तन्हाईयाँ चुरा ले जायेगा
मैं जैसा भी हूँ वैसा ही रहूँगा क्यों बदलूँ खुद को
लोगों का क्या चाँद को निहारते कमी भी ढूढ़ लेते
तू अल्मोड़ा की चाँदनी है मैं हल्द्वानी का सपूत.;
तेरी मेरी निभनी तय है किस को चाहिए सबूत..!!
Posted on May 8, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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