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कुछ अहसास ऐसे भी होते जो दिखाए
न दीखते महसूस होते
वक़्त आने पर दिख जाएगा मुहब्बत
किस को कहते दर्द कैसे लेते
कभी फुर्सत मिली तो पूछना खुद से
दिल लगाया तुझ से क्या यही खता थी
ये तेरी नज़रों का धोखा है
हम कल भी तेरे साथ थे,
आज भी हैं कल भी रहेंगे
न हो यक़ीन दिल में देख
चल जा झूठी
कहीं ख्याल खयूल नहीं रखती
गली से निकलो तेरी तो
अपने कुत्ते पीछे लगा देती
अभी कल ही इंजेक्शन लगवाया
हर वक़्त मुस्कुराती हवा आज क्यूँ खामोश बैठी है,
लगता किसी सखी के तन्ज़ को दिल पर ले बैठी है
यूँ तो ख़ामोशी कुछ इल्ज़ामों की दवा हो सकती है,
मगर खोमश रह शक को क्यूँ हक़ीक़त बना बैठी है
फिर से इक तस्वीर अपनी भेज देना सनम
आँखों में कैद कर
ग़ज़ल लिखूंगा दिल के अल्फ़ाज़ों से
कम्बख्त दिल भी कितना नादाँ होता
ज़ख्म जिनसे पाए गुनहगार न कहता
यूँ तेरा रूठ कर जाना एक पल न सुहाता है
शायद तेरे दिल को अब कोई और भाता ह
दिल चुराते ज़रा भी शर्म न आई अब मुझसे आँख चुराते हो
अरे कुछ तो रहम करो यारा क्या खुदा का खौफ भी खाते हो
कुछ ऐसा ही हाल इधर भी घायल हम भी कम नहीं
ये और बात तुमने सिर्फ अपने जख्म देखे है हर बार
पहले तो बातें कर जगाया फिर सपनों में आ आ तड़पाया
कैसी है मुहब्बत की मगरूरियत अब समझ आया है यारो
जिसके जीने का सहारा बन गया हो उसका प्यार
वो कैसे जियेगा बिन उसके ज़रा सोचो तुम्हीं यार
ये मुहब्बत भरी बातें उल्फत भरी रातें इशारा हैं किसी कहानी का
जो हम ने रहेंगे दोहराएगी दुनियां तोहफा है ये मुहब्बत की निशानी का
कुछ अहसास ऐसे भी होते जो दिखाए
न दीखते महसूस होते
वक़्त आने पर दिख जाएगा मुहब्बत
किस को कहते दर्द कैसे लेते
कभी फुर्सत मिली तो पूछना खुद से
दिल लगाया तुझ से क्या यही खता थी
ये तेरी नज़रों का धोखा है
हम कल भी तेरे साथ थे,
आज भी हैं कल भी रहेंगे
न हो यक़ीन दिल में देख
चल जा झूठी
कहीं ख्याल खयूल नहीं रखती
गली से निकलो तेरी तो
अपने कुत्ते पीछे लगा देती
अभी कल ही इंजेक्शन लगवाया
लड़की अगर रुमाल की
जगह नाक भी फेंके तो
कुछ दीवाने उसे भी उठा
सहेज रख लेते😅😅
हर वक़्त मुस्कुराती हवा आज क्यूँ खामोश बैठी है,
लगता किसी सखी के तन्ज़ को दिल पर ले बैठी है
यूँ तो ख़ामोशी कुछ इल्ज़ामों की दवा हो सकती है,
मगर खोमश रह शक को क्यूँ हक़ीक़त बना बैठी है
फिर से इक तस्वीर अपनी भेज देना सनम
आँखों में कैद कर
ग़ज़ल लिखूंगा दिल के अल्फ़ाज़ों से
कम्बख्त दिल भी कितना नादाँ होता
ज़ख्म जिनसे पाए गुनहगार न कहता
यूँ तेरा रूठ कर जाना एक पल न सुहाता है
शायद तेरे दिल को अब कोई और भाता है
दिल चुराते ज़रा भी शर्म न आई अब मुझसे आँख चुराते हो
अरे कुछ तो रहम करो यारा क्या खुदा का खौफ भी खाते हो
कुछ ऐसा ही हाल इधर भी घायल हम भी कम नहीं!
ये और बात तुमने सिर्फ अपने जख्म देखे है हर बार.!!
पहले तो बातें कर जगाया फिर सपनों में आ आ तड़पाया
कैसी है मुहब्बत की मगरूरियत अब समझ आया है यारो
Posted on May 8, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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