“लम्हें”
खुनसुरत प्यारी दिल की दुलारी,
दिखती चाँद सी लिखती कमाल
दिल की मिठ्ठी है सब से निराली,
जब से आई मचा रखा है धमा
लोग कब अपने हुए बातों को बनाया भूल गए
मगर तेरा मेरा अफसाना दुनियां दोहराएगी बाद भी
अपने दिल के आँगन झांक कर देखना इक फूल अब भी खिला
किसी के प्यार की निशानी है बेशक उसे कभी तेरा प्यार न मिला
अपने सवालों को देदे मुझे और जवाब ले ले
वो दोस्त क्या जो मुश्किल वक़्त काम न आये
ये कम्बख्त मेहबूब भी चाय की तरह है
सुबह उठते ही इसकी तल्ब हो.जाती है
With the flying wind someone smells your words and knew what you said…..
ये सच है कोई किसी
के बिन नहीं मरता,
पर किसी ख़ास से
बिछड़ कोई बस जीता
न उम्मीद की बस्ती में
उम्मीद लिए रहता,
कब हो जाये खुदा
मेहरबाँ इसिलए जीता
जब गर्दिश-ए-हवा चली जिन्हें तकिया बना सोया करते थे,
वही टहनियां झूम झूम कर गैर हो साथ छोड़ गई
पकड़ा जो अब ये हाथ मर कर ही छूटेगा
लकीरें कुछ कहें उम्र भर साथ न छूटेगा
बेशक अगर साथ देने का वादा करो
उम्र भर की मुहब्बत फिर हमसे लेलो
बाँहों का तकिया बना के रखेंगे करीब
गम दे अपने खुशियां तुम हमसे लेलो
हाय रे हुस्न और उसकी अदाएं
नाक पे गुस्सा और लेती बलायें
वो मगरूर लड़की थोड़ी नकचढ़ी पर दिल की अच्छी
आखिर अंजाम तो यही होना था प्यार उसे होना ही था
उधर तू परेशां इधर हम भी हेरां
उफ़ ये रात कैसे कटेगी तन्हा
अपने अपने दायरों में रहो तो
ज़िन्दगी अच्छी गुज़र जाती है
Tumko bhul gya ha dil magar
Tum ho raato ko bhi sone na dete
Dil lgaya tha ik hoor se
Mil gya dard shayri ke liye.
दिल क्या रूह में इस तरह बसें हो
जान निकलने बाद ही भुला पाएंगे
लौट कर गर आ जाते जाने बाले तो याद कोई रखता ही क्यों.!
दीये की रोशनी की एहमियत दीया बुझने बाद ही हुआ करती.!!
Posted on May 3, 2020, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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