“लम्हें”


1. न कर हुस्न पर इतना नाज़,
कोई सदा मुक़म्मिल न रहा.!
सूरज भी इतराया कुछ यूँही,
शाम ढलने से रोक न पाया.!! 

2. शाम ढले किसी दिन आकर तो मिल,
देख अपने दीवाने का हाल।!
कौन संग दिल खुद ही फैसला करना,
क्या खबर हो जाए बेहाल।!!

3. मुझ से इतनी मुहब्बत न कर सनम,
बाद मेरे रह न पाए.!
ज़िन्दगी में होती सब की मजबूरियां,
बाद में न संभल पाए.!!

4. अंग-अंग तेरा जैसे कोई नगीना,
देखे जो कोई छूटे पसीना.!
चाँद से भी खूबसूरत तू है हसीना,
नहीं अब तेरे बिना है जीना.!!

5. ज़िन्दगी में तेरा यूँ आना,
साँझ को किरणों का दिख जाना.!
सागर‘ की गहराईयों में,
चांदनी का शर्मा कर समां जाना.!! 

6. मैं ‘सागर‘ हूँ तू है धरा,
मैं तुझ में और तू मुझ में.!
फिर भी मिलन न होगा
यही फर्क तुझ में मुझ में.!! 

7.गर तूने मुझसे न बात करने की कसम खाई है,
मैंने भी रुस्वा न कर बात पूरी निभाई है.!
तेर कसम न टूटे मेरी मुहब्बत भी न रुस्वा हो,
तो ही तेरी तस्वीर इस सीने में बसाई है.!!

8. तेरी मुहब्बत बस I Love U I Miss U जानूं तक सिमटी रह गयी
हमने खवाब सजाये थे घर बसाने के.!
तेरी मांग सज़ा अपने घर की जीन्नत बना हर अरमाँ पूरा करते तेरा,
छः-सात बच्चों की मम्मी बनाने की.!!

9. क्या खबर तस्वीर तेरी न हो और की हो.!
क्यों हर बात तू अपनी और खींच लाइ है.!!

10. कहते हैं वो “सागर” हम से जनसंख्या घटायें.!
फिर ग्यारह कार्टूनों की तस्वीर क्यों दिखाई है.!!

11. जो दावा करते थे तह उम्र साथ चलने का.!

गर्दिस-ए-हवा क्या चली साथ छोड़ गए.!!

12. Girls Aksar Ye Kyun Samjhti Unki Hi Respect Hoti Hai.!
Kya Unke Papa-Brother Male Hain Is Karan Unki Nahin.!!

13.तू रात में जितनी खुशियां देती,
दिन होते मय ब्याज वसूल करलेती.!
कैसी है और कैसी तेरी मुहब्बत,
ज़िन्दगी क्यों’सागर’को उलझा देती.!!

14. कुछ तेरी हैं अगर मजबूरियां कुछ मेरी भी हैं.!
सुना ज़रूर होगा यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता.!!

15. कभी कभी एक ज़िद्द आपको अपनों से दूर कर देती.!
जब के आप सच्चाई जान कर भी बहसबाजी करते.!!

16. छोड़ “सागर” अपनी राहें बदल ले.!
तू नहीं है क़ाबिल दुनियां बदल ले.!! 

17. जब तल्क़ न देगी आवाज़ अब बुलाएंगे.!
रहना ज़िद्द ही में तुझ से दूर चले जाएंगे.!!

18. मौसम के हर रंग को बदलते देखा है,
जवां रातों में आवारा दिल धड़कते देखा है.!
वही जोश वही उल्फत वही नफरत,
सब वही है मगर किरदार बदलते देखा है.!!  

19. मेरे नग्में मेरी शायरी तेरे प्यार की अमानत हैं.!
तुझ से मुहब्बत कितनी मेरी वफ़ा की ज़मानत हैं.!!

20.शिक़वा तुझे मुझ से हो सकता,
शिकायत मुझे तुझसे.!
मगर न तेरी मुहब्बत में कमी है,
न मेरी नियत में है.!!

21. समझदारी इसी में है ऐसे बेगानों से बचकर रहिये.!
जो जिस्म से खेलें रूह से खेलें और धोखा दे जाएं.!!

22. इतनी खूबसूरत अदाओं से
गर मनाओगे.! 
कौन कम्बख्त न मानने की
गुस्ताखी करेगा.!!

23. इतनी प्यार-वफ़ा की बातें हुस्न के मुंह से अब अच्छी नहीं लगती.!
हमनें अक्सर देखा है इश्क़ को हुस्न की गलियों में ख़ाक छानते.!!

24. घडी अपनी तो चला लें मगर ये खुदगर्ज़ कहाँ ले जाएं.!
जो जीते महज़ मतलब खातिर ऐसे दीवाने कहाँ ले जाएं.!! 

25.तेरी चाहतों का हुआ ये असर अब दिल में सब बेअसर.!
मिल जाए जो तू कर लूँ सलाम दुनियां से हूँ मैं बेखबर.!!

26. मैं अवद की शाम हूँ तू लखनऊ की सुबह.!
मैं हूँ नाचीज़ शायर तू अदब की कहकशां.!!

27. तुझ से मुहब्बत है कभी इंकार भी न था.!
मगर क्या करते तुझे कभी एतबार न था.!!

28.दूर से ही सही तेरे साथ गुज़रे लम्हें तह उम्र की अमानत हैं.!
तेरी रुस्वाई क़बूल नहीं मेरी सांसें इस बात की ज़मानत हैं.!!

29.सर्द हवाओं संग आज फिर तेरी याद चली आई.!
क्यों लगता है इस दिल को तू यहीं कहीं करीब है.!!

30. रहने दो मेरी खामोशियों को मेरे पास तुम्हारी नज़रों में गुनहगार ही सही मगर.! 
हो सके मेरे ज़नाज़े पर आ इंतज़ार करती खुली आँखों की तस्वीर पहचान लेना.!! 

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Posted on July 26, 2019, in लम्हें. Bookmark the permalink. Leave a comment.

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