कासा(कटोरा).!!
यूँ तो कोई अश्क़ बहे न तेरी अखियन कोशिश यही
फिर भी गर कोई कतरा बह निकला.!
बना दोनों हाथों का कासा ज़मीन पर ना गिरने देगा,
वादा “सागर” क्या कोई झूठा निकला.!!
Posted on June 25, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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