ज़ुस्तज़ू.!!
रात खवाब की खवाबों से मुलाक़ात हो गई,
हसरतों की फिर से बरसात हो गई.!
बेघर-सो हो गई थी जो यादें बिछड़ “सागर“,
ज़ुस्तज़ू फिर से जैसे आबाद हो गई.!!
Posted on June 13, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 2 Comments.
रात खवाब की खवाबों से मुलाक़ात हो गई,
हसरतों की फिर से बरसात हो गई.!
बेघर-सो हो गई थी जो यादें बिछड़ “सागर“,
ज़ुस्तज़ू फिर से जैसे आबाद हो गई.!!
Posted on June 13, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 2 Comments.
क्या बात। खूबसूरत शायरी।👌👌
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Shukriya Madhusudan ji
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