वक़्त की गर्दिशें…
वक़्त की गर्दिशें इंसान को क्या क्या बना देती हैं.!
कभी अपना कभी अपनों को बेगाना बना देती हैं.!!
कैसी ये लगन कैसी अगन फिर भी हो जीवन में.!
कभी दौर ऐसा गुज़रे शम्माँ-परवाना बना देती हैं…
वक़्त रहते जो सम्भला-पहचाना जीवन-जंजाल.!
उन राहों को रहमतों का पैमाना सा थमा देती हैं…
तह उम्र जिन सहारे जीने की हो उम्मीद “सागर“.!
पल भर में उन सपनों को अनजाना बना देती हैं…
Posted on June 12, 2019, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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