खामोश किस्से…
कुछ खामोश किस्से,
जो तुझे सुनाने हैं,
रात के गुज़रे पहर के,
सौ अफ़सानें हैं…
न दिल को चैन मिला,
न सांसें हुई अपनी,
खुली हवा झोंके-सी,
ज़िंडी गुजरी अपनी,
कई बातें कहनी,
कई नज़राने हैं…
कभी रूठें तो वो,
जो मना पाएं उनको,
दिल-ए-अरमाँ कई,
क्यूँ समझाएं उनको,
उम्मीदें लाख हुई,
नए तराने हैं…
Posted on June 9, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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