वो हुस्न किस काम का जो गरूर न रखे.!!
वो हुस्न किस काम का जो गरूर न रखे,
आइना देखे और मगरूरियत न रखे.!
खुदा की बनाई यही वो सल्तनत”सागर“,
जिसे हर कोई पाने की चाहत रखे.!!
Posted on June 8, 2019, in Hussan-e-Ishaq Shayari. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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