ज़िन्दगी…
ज़िन्दगी एक मौसम सिवा और कुछ भी नहीं.!
कभी पतझड़ कभी बहार और कुछ भी नहीं.!!
क्यों करते हर पल इंतज़ार उस माशूक का.!
जिसे देख फिर देखना कभी मय्यसर न हो.!!
रात अंधेरों में ही न देखें ज़िन्दगी की दास्ताँ.!
यहाँ सुबह भी है होती सपने सजाने के लिए.!!
जिसे चाँद समझ पाने की ज़ुस्तज़ू किया करें.!
कुछ लम्हों की प्यास है बीच में कुछ भी नहीं.!!
धन-दौलत की मोह-माया ही क्यूँ हो हर पल.!
मज़ा बहुत “सागर” दूजे को खुश देखने बाद.!!
Posted on June 7, 2019, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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