लोग क्यों दिल से मुर्दा हैं.//
तेरे इश्क़ में जान देने की हसरत लिए ज़िंदा हैं
लोग फिर भी कहते शर्मिंदा हैं./
क्या किसीको चाहना कोई गुन्हा होता है सनम
लोग फिर क्यों दिल से मुर्दा हैं.//
Posted on May 29, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 2 Comments.
👌
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Thanks.
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