दोष तेरा न था.//
तुझे चाहा तुझे सरहाया क्या सारा दोष मेरा था,
तुझ बिन पूजा न कोई क्या ये भी दोष मेरा था./
तू रही फिर भी गैर बन हरदम “सागर” से दूर,
तकद्दीर को मंजूर न था इसमें दोष तेरा न था.//
Posted on May 22, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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