इश्क़ का कोई मज़हब नहीं होता…
यूँ तो यारो इश्क़ का कोई मज़हब नहीं होता मगर “सागर“.!
कोई गीता पढ़े या नमाज़ गर होना तो इश्क़ हर हाल होता.!!
Posted on May 11, 2019, in Thought of the Day. Bookmark the permalink. Leave a comment.
यूँ तो यारो इश्क़ का कोई मज़हब नहीं होता मगर “सागर“.!
कोई गीता पढ़े या नमाज़ गर होना तो इश्क़ हर हाल होता.!!
Posted on May 11, 2019, in Thought of the Day. Bookmark the permalink. Leave a comment.
Leave a comment
Comments 0