वो नहीं जो यारी में दगा करें…
हम वो नहीं जो यारी में दगा करें,
कहें अपना और बेगाना करें.!लोग मिलते हैं यहाँ दर्द देने वास्ते,
हम वो नहीं जो दवा न करें.!!
रातें जागने की सजा कौन दे गया,
किससे गिला शिक़वा करें.!अपनी आहों की सजा देकर उन्हें,
जहाँ से यूँ बेज़ार न करें.!!
ख़ामोशी में भी इक इक़रार होता,
बेशक वो इक़रार न करें.!हमने दिल उन नाम किया”सागर”,
उनकी मर्जी ओर नाम करें.!!
Posted on April 14, 2019, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
Leave a comment
Comments 0