चालाक…
हम से अच्छे नसीबों वाली है ये मिट्टी भरी धूल,
कम से कम उनके चेहरे के करीब तो रह लेती.!पर वो भी कुछ कम चालाक नहीं है यार”सागर“,
छु न लें उनके लब चेहरे पे नक़ाब लगा लेते हैं.!!
Posted on March 31, 2019, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.