रात के मध्य पहर में…
प्रस्तुत कविता आज प्रात:उठते ही लिखी थी…
रात के मध्य पहर में,
जब सब सो जाते,
तू चली आती है…
रात के मध्य पहर में…
चाँद छुप जाता,
सितारे टिमटिमा उठते,
होले से कानों में फुसफुसा,
नींद चुरा जाती है…
रात के मध्य पहर में…
स्वपन दर्शन करा,
नई उमंग सर्जित करती,
प्रेम”सागर“में विश्वास दिला,
दिल को सेहला जाती है…
रात के मध्य पहर में…
क्या मेरा क्या तेरा यहाँ,
सबका साँझा सबका बिसरा,
मोह-माया त्याग करा,
दिव्य-ज्ञान समझा जाती है…
रात के मध्य पहर में…
Posted on March 23, 2019, in Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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