गैर हो जाऊँ इस से पहले….!!
गैर हो जाऊँ इस से पहले बाँहों में समेट ले.!
मांग का सिन्दूर बना इन आँखों में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
आवारा बादळ भटक जाऊँगा फिर न कहना.!
किसी और आँगन बरसूं उससे पहले समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
तन्हा रातों में यूँ छुप-छुप आंसूं न बहाया कर.!
लबों की तब्बस्सुम बनूं अपनी रूह में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
तकिये को बाँहों में भर भी कमी पूरी न होगी.!
रह करीब जिस्म की गर्मी को खुद में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
उधर गर है परेशां तो आग इधर भी बराबर.!
बना हमसफ़र ज़िन्दगी को खवाबों में समेट ले.!!गैर हो जाऊँ इस से पहले…
Posted on February 23, 2019, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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