रात भर जागे हैं.//
रात भर जागे हैं,
ठाठ से जनाब सोये पड़े हैं /
जिस हुस्न पे नाज़,
उसे सरे बाजार किये लेटे हैं //आवारा हो चली हैं,
वो काली घटाओं सी जुल्फें /
बरसेंगी किस आँगन,
खामोश मगर सवाल समेटे हैं //सुर्ख लाल लबों पर,
इक मेरा ही नाम रहता उसके /
दुनियां सामने बेशक,
हर पल ना नुकर कर लेते हैं //जब जागेगी लड़ेगी,
कुछ फितरत है उसकी ऐसी /
वक़्त कैसे कटता,
जाने यारो जब सामने होते हैं //
Posted on February 16, 2019, in Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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