मेरे देश में है कितनी आज़ादी.!!
सुनता देखता वहां बोलने की क्या सजा मिली.!
सोचता हूँ मेरे देश में है कितनी आज़ादी.!!जब चाहो किसी को दो गाली किसी को ताली.!
दुनियां में कहाँ-कहाँ मिली इतनी आज़ादी.!!फिरंगी साज़िशों का न शिकार बनो नौजवानों.!
इस देश से बेहतर कहीं न होगी हरयाली.!!कई माँओं की कोख उझडी कई भाई-सुहाग.!
खून बहाया शहीदों ने तब पाई आज़ादी.!!जायँ न करो अपने हुनर की ताकतों को तुम.!
कंधे से कन्धा मिलाएं देखें फिर खुशहाली.!!जात-पात-धर्म से ऊपर उठ कर देखो यारो.!
बाद पछताओगे होगी हर और बर्बादी.!!
Posted on June 29, 2018, in Shayari-e-Watan. Bookmark the permalink. 2 Comments.
Simply awesome..have no words to tell you how amazing piece it is!!
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Thank u so much Medha ji.
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