ज़रा सोच…!!
तुझ से मुहब्बत न होती तो ज़रा सोच,
तेरे पीछे-पीछे घर तक क्यों मैं आता,
तेरी मम्मी के जुटे-चप्पल क्यों खाता,
वो जो काला सांड-सा कुत्ता पाल रखा है,
तेरे डैडी ने पीछे छोड़ भाग कटवाया है…ज़रा सोच…
साला बनाने की चाह कई जतन किये,
तेरे भाई को उसकी गर्ल-फ्रेंड से मिलवाया,
और गर्ल-फ्रेंड के पापा ने भी पिट लिए हैं,
बड़ा मंहगा पड़ा है सौदा तेरी उल्फत का,
जिसने चाहा धो-धो थपकी से धुलाया है…ज़रा सोच…
कहीं दाल न गली तेरी बहन से जा मिले,
पास बिठाया और दिल के टुकड़े खोल दिए,
हाल-ए-दिल सारा जान वो मंद-मंद मुस्काई,
बोली हमें देखो हमरी बहना से बेहतर मलाई,
अरे बेवकूफ तूने हमसे क्यों न आँख लड़ाई…ज़रा सोच…
तरस खा मुझ पर कर मुहब्बत तू मुझ से,
ज़िन्दगी न कटे तेरे बगैर कसम है दिल से,
और का न हो जाऊं मुझसे पहले आ मिल,
माँ ने दिया है अल्टीमेटम खफा है मुझ से,
देख लेना वो एक दिन दूर करेगी तुझ से…ज़रा सोच…
Posted on June 22, 2018, in Funny Poetry, Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. 4 Comments.
😂 this was tragically humourous!
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Thanks.
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😂😂😂😂 liked it..
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Thanks a lot.
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