नसीब…
इन्सान की ज़िन्दगी ख्वाहिशो की इनहां होती है,
जो जीते-जी कभी मुक़्क़मिल नहीं होती…
आज और कल और फिर और…
कभी न खत्म होने वाला सिलसिला…?
अर्ज़ किया है:–
भीगी पलकों से सलाम-ए-रुखसत न करो.!
यहाँ हर किसी को मुहब्बत नहीं मिलती.!!कुछ नसीब वाले मुक़ाम हासिल कर जाते.!
कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें मंजिल नहीं मिलती.!!वफ़ा की चाहत लिए हर कोई जीता यहाँ.!
हर किसी को सकून-ए-मौत नहीं मिलती.!!.यहाँ मालिक कई ऊँची-ऊँची मिनारों के.!
वक़्त ज़रूरत दो गज़ ज़मीं नहीं मिलती.!!वफ़ा के बदले वफ़ा पाने की कैसी ज़िद्द.!
ख्वाहिशें हैं अगर ज़िन्दगी नहीं मिलती.!!
Posted on June 19, 2018, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. 2 Comments.
Masha allah✌️👍
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Shukriya Sskshiji.
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