हाँ तुम बदल गयी हो…(On Demand)
Tum mujhe bhulna chaho to beshaq bhula do.!
Maine har janm yaad rakhne ki kasam khai hai.!!
पहले जैसी नहीं रही तुम,
हाँ तुम बदल गयी हो…याद है जब पहली बार मिली थी,
श्रृंगार रस में सजी-धजी,
प्रेम रस से बातें करती,
नयनों में सपनें लिए,
उमंगों को पंख लगाती-सी…
हाँ तुम बदल गयी हो…समय का पहिया है घूमता है,
बस यादों का साया अब,
कुछ खट्टी कुछ मिठ्ठी,
उम्र का आखिर पड़ाव,
बूढी हो चली हैं उम्मीदें…
हाँ तुम बदल गयी हो…जैसी भी हो जीवन की डोर हो,
वीरानियों में सहेली तुम,
पंख लगा उड़ेंगे पंछी,
तनहा रह जाएंगे हम-तुम,
इंतज़ार-इंतज़ार-इंतज़ार करते…
हाँ तुम बदल गयी हो…
Posted on May 28, 2018, in Nagama-e-Dil Shayari, Shayari-e-Dard. Bookmark the permalink. 3 Comments.
khubsurat rachna.👌👌
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Shukriya Madhusudanji.
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👏👏👍
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