ये कैसी मुहब्बत है…..(Gazal)
तेरी दिल न लेने-देने की कोई वजह हो सकती है.!
मैं चाहूँ न तुझे ये मेरे दिल-औ-दिमाग का हक़ है.!!
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ये कैसी है तेरी मुहब्बत जो मुझ से दूर कर बैठी है.!
इतनी भी कोई खता न की है जो मुंह फुला बैठी है.!!ज़िन्दगी का क्या है भरोसा ज़रा इसे भी याद रखना.!
कहीं बेहतरीन वक़्त को जायां तो नहीं कर बैठी है.!!कोई शेर ऐसा ना लिखा तेरे दिल को को तोड़ जाए.!
फिर किस बात को जान-ए-जहाँ दिल लगा बैठी है.!!कोई रात ऐसी न गुज़री तेरी याद में करवटें न बदली.!
सूरत दिखा अपनी इस तन-बदन आग लगा बैठी है.!!प्यार में गर कोई कमी की हो तो बता न”सागर“को.!
क्यों बेवजह धड़कने “सागर” दिल की छीन बैठी है.!!
Posted on March 23, 2018, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. 8 Comments.
Behtarin shayri.👌👌
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Shukriya Madhusudan ji.
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bahut khoob
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Shukriya.
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Badiya
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The way you express emotions on love, gives goosebumps.
This post is so beautiful…
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I”m glad u like it.Thanks.
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शुक्रिया
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