तम्मन्ना…
बहुत रुलाया है तूने मुझ को,
अब जीने को ज़रा भी जी नहीं चाहता.!
“सागर“की चाहत फ़क़त इतनी,
अगले जन्म भी हो तुझी से कोई नाता.!!
Posted on February 16, 2018, in Shayari-e-Dard. Bookmark the permalink. Leave a comment.
बहुत रुलाया है तूने मुझ को,
अब जीने को ज़रा भी जी नहीं चाहता.!
“सागर“की चाहत फ़क़त इतनी,
अगले जन्म भी हो तुझी से कोई नाता.!!
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