खुदगर्ज़ इन्सान.!!
मुहब्बत में इन्सान खुदगर्ज़ हो जाता है “सागर“.!
चाहता बस वो उससे ही बात करे और संग नहीं.!!
Posted on January 20, 2018, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 4 Comments.
मुहब्बत में इन्सान खुदगर्ज़ हो जाता है “सागर“.!
चाहता बस वो उससे ही बात करे और संग नहीं.!!
Posted on January 20, 2018, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. 4 Comments.
क्या खुदगर्जी की परिभासा मोहब्बत तक ही सीमित है जी,,,,, वैसे बहुत खूब
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शुक्रिया तनुप्रिया जी
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सस्वागत
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अभिराम तनुप्रिया जी
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