“सागर”अब सम्भलना होगा…
हर हाल में जीना होगा,
किसी के प्यार में जीना होगा,
किसी को न हो पर,
किसी को बड़ी ज़रूरत होगी,
किसी खातिर ही जीना होगा…
ज़िन्दगी उलझनों से भरी,
पेड़ पर पतंग-सी अड़ी,
किसी हाथ डोर,
कोई पेचा लड़ा रहा,
हर तज़ुर्बा लेना होगा,
किसी खातिर ही जीना होगा…
मुखोटे पर मुखोटे लगे,
प्यार में धोखे लगे,
जीने का मकसद मतलब,
गौरे तन दिल काले पड़े,
“सागर“अब सम्भलना होगा,
किसी खातिर ही जीना होगा…
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Posted on January 18, 2018, in Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. 4 Comments.
Prashansha yogya👏👏😊
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शुक्रिया आपका प्रज्ञा जी…
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😊😊
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😊
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