Morning Special…
(1)
ज़िन्दगी दगा देने को है,
इस क़ाबिल भी न रहा के तुझे इजहार कर पाऊं.!
खुदा जाने”सागर“हाल,
जिया तो पर कभी ज़िन्दगी हंस कर ना जी सका.!!
(2)
ये मेरे सुख नग्मों की दास्ताँ,
जिनमें हर पल तेरी याद रही.!
फिर भी तेरी नज़रों हरदम,
“सागर“वफ़ा बेवफा-सी रही.!!
(3)
आप संग मुहब्बत एक इत्तेफ़ाक़ रहा,
वरना जाते पंछी कभी ठोर – ठिकाना नहीं ढूँढ़ते.!
ज़िन्दगी और नहीं कब इन्कार किया,
यारों का क्या है यार बात बनाने का बहाना ढूँढ़ते.!!
(4)
तेरी चाहत में सुबह-शाम कसीदे पढ़ जाऊं,
गर सुनने को तैयार रहे.!
देखी ही कहाँ “सागर” सी मुहब्बत किसी ने,
यार दर मरने तैयार रहे.!!
(5)
हर इंसान का अपना नजरिया,
देखने-सुनने-परखने का.!
तुझे हक़ अपनी तरह जीने का,
यारों की इसमें ख़ुशी होती.!!
Posted on January 16, 2018, in Shayari-e-Dard. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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