राज-ए-गम-ए-ज़िन्दगी…
इक कहानी कभी तुमनें सुनाई थी,
सच है या झूठ तुम्हीं जानते.!आओ इक सच से वाकिफ कराएं,
शायद इसे तुम झूठ मानते.!!
जब-तब ज़रूरत पड़े अपनों की,
“सागर“वो बेगाने हो जाते.!
क्या इसी का नाम है इंसानियत,
लोग क्योंअफ़सानें हो जाते.!!उड़ते पखेरू करीब आ शम्मां के,
जल कर दीवाने कहला जाते.!
मुहब्बत भी अजीब है यहाँ यारो,
जान के भी नज़राने दिए जाते.!!वफ़ा करना असां बाद मुश्किल,
उल्फत में हरजाने लिए जाते.!
जो इश्क़ ही खातिर जियें या मरें,
वही ज़माने में याद किये जाते.!!
दुःख-दर्द तो बस आप की ज़िन्दगी में ही हैं.!
बाकी तो यहाँ इक फरिश्ता बन पैदा हुए हैं.!!
तक़रार-इक़रार-प्यार-इजहार सब जीते-जी ही नसीबों में होता है यारा.!
अपनी दुआओं में शामिल रखना ज़िन्दगी रही तो मुलाकात ज़रूर होगी.!!
Posted on January 13, 2018, in From the Page of Personal Dairy., Ghazals Zone. Bookmark the permalink. 2 Comments.
वाह! आप बहुत अच्छा लिखते हो।
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शुक्रिया सोहन प्रीत जी
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