“सागर”आज दस्तूर ही ऐसा है.!!
ज़रूरत से जायदा आज किसी को मिल जाए तो वो मगरूर हो जाता…
इसी लिए बेवजह किसी का मौल बढ़ाने से बेहतर है उसे उसके हाल पर छोड़ दीजिये…
वो कितना गुनहगार है वो खुद ही जानता है…
पाक-साफ़ होने का नाटक कर क्या फायदा…
बेचारा मगरूर बेगैरत……??
गिला तुम से नहीं है मुझे कोई,
आज कल हवा का रुख ही कुछ ऐसा है.!
अपना बन-बन मिलेंगे यहाँ,
दगा देंगे “सागर” आज दस्तूर ही ऐसा है.!!
Posted on January 12, 2018, in Shayari-e-Watan, Thought of the Day. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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