तसव्वुर.!!
कुछ उनकी हदें हैं कुछ अपनी भी,
उन ख्वाबों का क्यों तसव्वुर जो मुमकिन नहीं.!
कुंवारा दिल करता दोस्ती बहुतों से,
“सागर”हर दिल भी तो मुहब्बत मुमकिन नहीं.!!
Posted on January 11, 2018, in Shayari Khumar -e- Ishq. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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