ज़िन्दगी तेरी मोहताज नहीं…
ज़िन्दगी तेरे वादों की मोहताज नहीं,
किये औरों से भी जो निभाने हैं.!
तेरे पास मेरी खातिर वक़्त ही नहीं,
औरों से वक़्त मिले सब बहाने हैं.!!
समझा है मुझे फुरसत का सामान,
जब फुर्सत मिली बात कर ली.!
काश लोगों से यूँ गैर हो आजमाती,
जानती दुनियां की क्या औकात.!!
मैंने प्यार किया था जां से बढ़ कर,
तूने रुस्वा किया पग-पग पर.!
अपनी मगरूरियत नशे चूर हुयी,
खुदा नजराना नामंजूर किया.!!
हुस्न जन्मों-जन्म की सौगात नहीं,
क्यों इस क़द्दर इतराती है.!
“सागर“सा चाहने वाला और नहीं,
क्यों मिला प्यार ठुकराती है.!!
Posted on January 6, 2018, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. 3 Comments.
Lovely lines 👏👏
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Thanks.
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kya kahne bahut khub
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