क्यों .!!
तेरे मखमली बालों से क्यों उलझना चाहता हूँ,
तेरे नरम होंठों को क्यों छूना चाहता हूँ.!यर कैसी बेकसी है कैसा है ये खुमार “सागर“,
क्यों उनका अंग-अंग अपनाना चाहता हूँ.!!
Posted on December 27, 2017, in Hussan-e-Ishaq Shayari. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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